मकर संक्रांति के अवसर पर 23 फीट लंबे मगरमच्छ की होती है पूजा , वर्षों से चली आ रही है परंपरा ,

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कोटा:- आज दिन शुक्रवार को पूरे देश में मकर सक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। अलग-अलग परंपराओं के रंग से सजे इस त्यौहार को देश में अलग-अलग रीति-रिवाजों से भी मनाया जाता है। ऐसा ही एक उदाहरण हमारे देश के राजस्थान के कोटा में भी देखने को मिलता है। बात की जाए पूरे राजस्थान की तो कोटा शहर ही एकमात्र ऐसी जगह है जहां पर बंगाली समाज के लोग मगरमच्छ की पूजा करते हैं और विधि विधान से अपनी परंपरा का निर्वाह करते हैं। समाज के लोगों का मानना है कि मगरमच्छ एकमात्र ऐसा जीव है जो पानी और धरती दोनों पर समान रूप से रह सकता है, इसलिए उसकी पूजा की जाती है।

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इससे जुड़ी हुई एक धारणा यह भी है कि एक व्यक्ति मिट्टी का मगरमच्छ बनाकर तांत्रिक के पास विद्या सीखने गया था। जब वह मकर सक्रांति पर घर लौटा तो उसके परिवार ने उससे पूछा उसने क्या सीखा, इस पर वो अपने परिवार को नदी के तट पर ले गया और वहां पर मिट्टी का मगरमच्छ बनाया और मंत्र बोलकर उसे जीवित किया। इसके बाद मगरमच्छ जीवित होकर नदी में चला गया। इसके बाद से ही बंगाली समाज के लोग मकर सक्रांति पर 23 फीट लंबे मिट्टी के मगरमच्छ की पूजा करते हैं। इस दिन बंगाली समाज के लोग मकर सक्रांति पर 23 फीट लंबे मिट्टी के मगरमच्छ की पूजा कर समाज और परिवार की खुशहाली की कामना करते है। साथ ही सामूहिक रूप से भोजन भी करते है । 

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