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फेस्टिवल :- धनतेरस के साथ ही पांच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत हो जाती है. जिसमें पहले धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और आखिर में भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है. धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन कुछ नया खरीदने की परंपरा है. इस साल धनतेरस का त्योहार 2 नवंबर को मनाया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन धनवंतरी भगवान की पूजा की जाती है. धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान धनवंतरी इस दिन समुद्र मंथन के दौरान हाथ में कलश लेकर प्रकट हुए थे तब उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना शुभ मन जाता है.

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इसे धन त्रयोदश भी कहा जाता है. इस दिन चांदी, सोना और वाहन आदि की खरीददारी शुभ मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है, उसमें कई गुना वृद्धि होती है. और अगर यही शॉपिंग शुभ मुहूर्त के अनुसार की जाए तो ये ज्यादा लाभदायी होती है. इस बार धनतेरस के दिन धनतेरस त्रिपुष्कर योग बन रहा है. कहा जा रहा है कि इस योग में खरीदारी करने वालों का भाग्योदय होता है.भगवान धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं. इसलिए इस दिन चिकित्सकों के लिये विशेष महत्व रखता है. कुछ समय से इस दिन को ’राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ के रूप में भी मनाया जाने लगा है. जैन धर्म में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं. क्योंकि इस दिन भगवान महावीर ध्यान में गए थे और तीन दिन बाद दिवाली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे.

धनतेरस पूजा विधि-
1. सबसे पहले चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं.
2. अब गंगाजल छिड़कर भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें.
3. भगवान के सामने देसी घी का दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं.
4. अब देवी-देवताओं को लाल फूल अर्पित करें.
5. अब आपने इस दिन जिस भी धातु या फिर बर्तन अथवा ज्वेलरी की खरीदारी की है, उसे चौकी पर रखें.
6. लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें.
7. धनतेरस की पूजा के दौरान लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें और मिठाई का भोग भी लगाएं.

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