काल बैसाखी का कहर: उत्तर भारत में तूफान और बिजली गिरने से 102 की मौत, बिहार सबसे अधिक प्रभावित…



लोक आलोक डेस्क/नई दिल्ली/पटना/लखनऊ/रांची:गर्मी के मौसम में तबाही बनकर आने वाला काल बैसाखी एक बार फिर उत्तर और पूर्वी भारत पर कहर बनकर टूटा। गुरुवार को आए इस भीषण तूफान और बिजली गिरने की घटनाओं ने देश के कई राज्यों को हिलाकर रख दिया। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित कई राज्यों में आंधी, मूसलाधार बारिश और आसमानी बिजली गिरने से कम से कम 102 लोगों की मौत हो गई है, जबकि सैकड़ों घायल हुए हैं और फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।


सबसे ज्यादा तबाही बिहार में
बिहार इस प्राकृतिक आपदा का सबसे बड़ा शिकार बना, जहां 80 लोगों की जान गई। राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री विजय मंडल ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि सरकार राहत और बचाव कार्य में जुटी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।
उत्तर प्रदेश में 22 मौतें, सीएम ने दिए सख्त निर्देश
उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में 22 लोगों की मौत की खबर है। सबसे ज्यादा मौतें फतेहपुर और आजमगढ़ जिलों में हुईं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपदा प्रभावित इलाकों में राहत कार्य तेज करने, मुआवजा देने और फसलों के नुकसान का आकलन करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जलभराव वाले क्षेत्रों से जल्द पानी निकालने के लिए भी कहा गया है।
झारखंड में आंधी-ओलों से फसलें तबाह
झारखंड के धनबाद, हजारीबाग और कोडरमा जिलों में काल बैसाखी के कारण ओले और तेज हवाओं से खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं। बिजली गिरने की घटनाओं में चार लोग घायल हुए हैं, जिनमें तीन बुजुर्ग शामिल हैं।
क्या है काल बैसाखी?
‘काल बैसाखी’ नाम खुद इसके खतरे को दर्शाता है — ‘काल’ यानी मृत्यु और ‘बैसाखी’ यानी बैसाख का महीना। यह एक मौसमी तूफान है जो आमतौर पर अप्रैल से जून के बीच आता है। वैज्ञानिक रूप से इसे ‘नॉर्वेस्टर’ कहा जाता है, जो गर्म हवा और बंगाल की खाड़ी की नमी के टकराव से बनता है। इसकी रफ्तार 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है।
कितना खतरनाक है ये तूफान?
- तेज हवाओं से पेड़ और बिजली के खंभे गिर जाते हैं
- खेतों की फसलें पूरी तरह तबाह हो जाती हैं
- कच्चे मकानों को भारी नुकसान पहुंचता है
- बिजली गिरने से हर साल होती हैं मौतें।
ग्रामीण इलाकों में इसका असर सबसे ज्यादा होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण काल बैसाखी की तीव्रता और आवृत्ति दोनों बढ़ रही हैं, जिससे भविष्य में और अधिक सावधानी बरतना जरूरी है।
सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियों ने लोगों से अपील की है कि खराब मौसम के दौरान खुले में न निकलें और सुरक्षित स्थानों पर रहें।
