होली में गाँव जाना हुआ मुश्किल, जरूरत से ज्यादा की संख्या में टिकट पहले ही कटे, टिकट दलाल हुए सक्रिय

0
Advertisements
Advertisements

जमशेदपुर: होली को देखते हुये अगर किसी यात्री को बिहार अपने गांव जाना है तो आरक्षण मिलने की बात तो दूर है आपको टिकट तक नहीं मिलेगी. काउंटर पर जाने पर पता चल रहा है कि जरूरत से ज्यादा की संख्या में टिकट पहले से ही काट दिये गये हैं. अब तो काउंटर पर नो रूम बताया जा रहा है. ऐसी घड़ी में कोई चाहकर भी टिकट नहीं ले सकता है. अगर उंची पैरवी है तब कहीं टिकट नसीब हो सकती है, लेकिन टिकट कंफर्म होने की बात सोचना भी मुश्किल है. बिहार जानेवाली साउथ बिहार और टाटा-छपटा कटिहार एक्सप्रेस में जाना तो मुश्किल है ही उपर से बिहार के लिये जो वीकली ट्रेनें चल रही है उसमें भी टिकट मिलनेवाली नहीं है. त्येक साल होती है ऐसी ही स्थिति
होली को लेकर प्रत्येक साल बिहार जाने वाली ट्रेनों में ऐसी ही स्थिति उत्पन्न होती है. रेल अधिकारी यह जरूरत करते हैं होली को लेकर ट्रेनों में एक्सट्रा कोच की सुविधा दी जायेगी, लेकिन वह नाकाफी होता है. इसका लाभ वेटिंग लिस्ट के यात्रियों को नहीं मिल पाती है. ऐसे में अपने गांव जाने की तमन्न लिये यात्रियों को भारी परेशानी होती है.

Advertisements
Advertisements

टिकट कंफर्म करने के लिये पैरवीकारों का तांता
होली के अवसर पर जो यात्री टिकट ले चुके हैं, वे अभी से ही उंची पैरवी लगाकर टिकट को कंफर्म करने की जुगत लगा रहे हैं. इसके लिये टाटानगर के रेलवे एरिया मैनेजर के कार्यालय में ऐसे लोग रोजाना पहुंच रहे हैं. टिकट कंफर्म कैसे हो सकती है इसकी जानकारी वे ले रहे हैं. इसके लिये तो आम यात्री एक्सट्रा खर्च करने के लिये भी तैयार हैं.

See also  चक्रधरपुर में फायरिंग, पुलिस के हाथ लगे कोई सुराग नहीं

टिकट दलाल भी सक्रिय
टिकट कंफर्म कर देने का झांसा देनेवाला दलाल भी टाटानगर में पूरी तरह से सक्रिय हो गया है. टिकट दलालों की पहुंच रेल के वरीय अधिकारियों के साथ-साथ आरपीएफ और जीआरपी तक भी होती है. वे आसानी से टिकट कंफर्म करवा देते हैं. टिकट दलालों का यह धंधा कई दशकों को बदस्तुर चला आ रहा है. टिकट दलालों को समय-समय पर आरपीएफ गिरफ्तार कर जेल भी भेजती है, लेकिन जमानत पर छूटने के बाद वे फिर से पुराने अपने धंधे में जुट जाते हैं.

ऑनलाइन टिकट से धंधा हो गया है मंदा
जब से ऑनलाइन टिकट मिलनी शुरू हो गयी है और रेल यात्री जागरूक हो गये हैं तब से टिकट दलालों का धंधा ही मंदा हो गया है. अब रेलवे स्टेशन पर जाकर घंटों लाइन में लगने की जरूरत नहीं पड़ती है. साइबर कैफे में जाकर आसानी से आम यात्री टिकट ले रहे हैं.

Thanks for your Feedback!

You may have missed