मुगल काल से हो रहा है ‘बर्फ’ का इस्तेमाल, पहले अमेरिका से होती थी सप्लाई; कोलकाता में बना था पहला Ice House…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- आज जहां घर-घर में फ्रिज के माध्यम से बर्फ उपलब्ध है। गली-गली में आपको बर्फ बिकती हुई मिल जाती है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब बर्फ अमीरों तक ही सीमित थी। लग्जरी आइटम माने जाने वाला बर्फ पहले के जमाने में विदेशों से मंगवाया जाता था।साल 1833 में अमेरिका के बोस्टन शहर से जहाज द क्लिपर टस्कनी बड़ी मात्रा में बर्फ लेकर कोलकाता पहुंचा था।
‘बर्फ’ बस इस एक शब्द से गर्मियों के मौसम में हमें राहत मिल जाती है। नाम सुनते ही शरीर को ठंडक का एहसास हो जाता है। आज के जमाने में बर्फ एक जीवनदायनी के रूप में काम कर करती है। लेकिन क्या अपने कभी सोचा है जिस बर्फ का इस्तेमाल आप पानी, शर्बत, लस्सी, ठंडाई और कोल्डड्रिंक में करते हैं, उस बर्फ की क्या कहानी है।
आज जहां घर-घर में फ्रिज के माध्यम से बर्फ उपलब्ध है। गली-गली में आपको बर्फ बिकती हुई मिल जाती है। लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब बर्फ अमीरों तक ही सीमित थी। लग्जरी आइटम माने जाने वाला बर्फ पहले के जमाने में विदेशों से मंगवाया जाता था।
साल 1883 में अमेरिका से भारत आया था बर्फ
साल 1833 में अमेरिका के बोस्टन शहर से जहाज ‘द क्लिपर टस्कनी’ बड़ी मात्रा में बर्फ लेकर कोलकाता पहुंचा था। इस जहाज में 180 टन बर्फ लादी गई थी और 4 महीने बाद कोलकाता पहुंचे जहाज से करीब 100 टन बर्फ निकाली गई थी। ये बर्फ जमीं हुई झीलों, नदियों से निकाली जाती थी।
कोलकाता में बर्फ जमाने के लिए बना था ‘आइस हाउस’
इस बर्फ को अमेरिका से भारत लकड़ी के बुरादे से लपेट कर लाया गया था। ताकि बर्फ पिघले नहीं। बर्फ को सहेजने के लिए कोलकाता में बर्फ जमाने के लिए ‘आइस हाउस’ बनाए गए थे। हालांकि भारत में मुगल काल में भी बर्फ का इस्तेमाल होता था। तब हिमालय से बर्फ को हाथियों पर लादकर लाया जाता था। जूट के कपड़े और लकड़ी के बुरादे में ढंक कर बर्फ लाई जाती थी। फिर भी हिमालय से आगरा आते-आते बर्फ की सिल्ली काफी छोटी रह जाती थी। बाद में देश में बर्फ बनाने की छोटी-छोटी फैक्ट्रियां खुलने लगी थी।