पेंशन की आस में तिल-तिल कर मर रहे हैं सैकड़ों रिटायर विद्युतकर्मी, अब तक तीस से अधिक ने जान गंवाई, परेशान परिजन लगा रहे अधिकारियों के चक्कर

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लखनऊ:- उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में बीस से तीस साल तक नौकरी कर रिटायर हुए सैकड़ों विद्युतकर्मी अपनी पेंशन पाने की आस में तिल-तिल कर मर रहे हैं। पिछले सात सालों में इनमें तीस लोगों की मौत है चुकी है, परन्तु विभाग से उन्हें पेंशन नहीं मिल सकी। अब उनके परिजन पेंशन के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। विभाग में पेंशन के लिए भटक रहे लगभग दो सौ विद्युतकर्मियां को जल्द पेंशन नहीं मिली तो उनका हाल भी अपने सहकर्मिर्यों जैसा होगा।

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अधिकारियों की संवदनहीनता से उनकी जिन्दगी भी सरकारी फाइलों में उलझकर रह गई है। सरकारी कर्मचारियों की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा उसकी पेंशन होती है। उसकी बुढ़ापे को सही ढंग से गुजारने में पेंशन ही सहारा होती है। ऐसे में रिटायरमेंट के बाद जिन्हें पेंशन न मिल पा रही हो उसक तनाव का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के लगभग दो सौ कर्मचारियों का है। बीते सात साल में रिटायर हुए ये विद्युतकर्मी अपनी पेंशन की आस लिए घुट घुट कर मर रहे हैं। इन विद्युतकर्मियों के सेवाकाल के दौरान लम्बित देयों की आड़ लेकर अभी तक पेंशन नहीं दी गई है।

पेंशन न मिलने के कारण कई परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गये हैं। इन रिटायरकर्मियों को पेंशन कदलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे उत्तर प्रदेश विद्युत पेंशनर परिषद के महासचिव कप्तान सिंह का कहना है कि पेंशन की आस लिए लगभग तीस लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हैरत की बात यह है कि उनके परिवार के लोग भी अभी तक पेंशन के लिए भटक रहे हैं।

श्री सिंह ने बताया कि काफी भागदौड़ के बाद कारपोरेशन की ओर से गत 29 जून को एक प्रस्ताव पत्रांक संख्या 924/पे एव आर-28/पाकालि/22-15/पे एव आर/13 विशेष सचिव वित्त को भेजा गया है जिसमें विद्युतकर्मियों के लम्बित देयों व अग्रिम भुगतान की वसूली उनकी पेंशन व ग्रेच्युटी की धनराशि से राजकीय कोषागार के माध्यम से कराये जाने की संस्तुति की गई थी।

दो माह बीत जाने के बाद भी अभी तक उस फाइल पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। इस बारे में पावर कारपोरेशन के निदेशक कार्मिक मृगांकशेखर दास भट्टामिश्रा से पूछे जाने पर उनका कहना था कि प्रकरण उनके संज्ञान में नहीं है। वे इस बारे में जानकारी करने के उपरांत ही कुछ कह सकते हैं। वहीं विशेष सचिव वित्त नीलरतन कुमार का फोन दो बार काल करने पर भी नहीं उठा।

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