136वें सृजन संवाद में काँधों पर घर की यात्रा…
जमशेदपुर:- 13 साल से निरंतर सक्रिय जमशेदपुर की साहित्य, सिनेमा एवं कला की संस्था ‘सृजन संवाद’ की 136वीं संगोष्ठी का आयोजन स्ट्रीमयार्ड तथा फ़ेसबुक लाइव पर किया गया। शुक्रवार शाम छ: बजे कहानीकार-उपन्यासकार प्रज्ञा प्रमुख वक्ता थीं। इस कार्यक्रम का संचालन कुशलतापूर्वक डॉ. क्षमा त्रिपाठी ने किया। वैभव मणि त्रिपाठी ने स्ट्रीमयार्ड संभाला। स्वागत करते हुए ‘सृजन संवाद’ कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. विजय शर्मा ने बताया संस्था नए और स्थापित दोनों रचनाकारों को मंच उपलब्ध कराती है, इसी सिलसिले में आज उपन्यासकार प्रज्ञा उपस्थित हैं, जिनके कहानी संग्रह के साथ तीन उपन्यास प्रकाशित हैं। ‘सृजन संवाद’ के मंच से वे अपने नवीनतम उपन्यास ‘काँधों पर घर’ की लेखन यात्रा दर्शकों/श्रोताओं से साझा करेंगी। वे अपने उपन्यास का अंश पाठ भी प्रस्तुत करेंगी। डॉ. शर्मा ने ‘वनमाली कथा’ में प्रकाशित उनकी नवीनतम कहानी ‘परत-दर-परत’ की संवाद, भाषा, सकारात्मकता का भी उल्लेख किया।
डॉ. क्षमा त्रिपाठी ने किरोड़ीमल कॉलेज की प्रोफ़ेसर प्रज्ञा का परिचय देते हुए बताया कि वे न केवल नाटक, कहानी लिखती हैं, वरन उनके उपन्यास भी चर्चा में हैं। उपन्यास ‘काँधों पर घर’ दिल्ली त्रयी ‘गूदड़ बस्ती’ तथा ‘धर्मपुर लॉज’ का तीसरा भाग है, ये उपन्यास एक खास तबके के जीवन की उथल-पुथल को दिखाते हैं। दिल्ली में जन्मी-पली प्रज्ञा ने चमकती दिल्ली और अंधेरी दिल्ली दोनों की जिंदगी को करीब से देखने के बाद ये उपन्यास लिखें हैं, जिन्हें पाठकों की भरपूर प्रशंसा मिल रही है। नवीनतम उपन्यास यमुना पार जीवन पर केंद्रित है।
प्रज्ञा ने पहले अपने उपन्यास ‘काँधों पर घर’ के एक छोटे-से अंश का पाठ किया। उन्होंने बताया कि इस उपन्यास पर यह पहली गोष्ठी है। अध्यापन से पहले वे एक पत्रकार थीं और उसी दौरान उन्हें इन वंचित तबकों के जीवन को करीब से देखने का अवसर प्राप्त हुआ। हालाँकि उस समय उन्होंने इन अनुभवों पर लिखने की बात नहीं सोची थी, जब लिखने लगीं तो ये सब अनायास चला आया। यह उपन्यास उन लोगों के जीवन को चित्रित करता है, जो छोटी जगहों से अपने सपने पूरे करने दिल्ली आते हैं। ये लोग कभी सौंदर्यीकरण, कभी प्रदूषण दूर करने के नाम पर बार-बार उजाड़े जाते है, हर बार फ़िर से उठ खड़े होते हैं। उन्होंने इसमें मजबूत स्त्रियों को खड़ा किया है। कई पात्र जाने-पहचाने हैं मगर लिखते समय उनके व्यक्तित्व में कल्पना का पुट स्वभाविक रूप से आया है। उपन्यास विस्थापन तथा पलायन के साथान्य कई मुद्दों को उठाता है। उपन्यासकार ने संचालक डॉ. त्रिपाठी एवं श्रोताओं/दर्शकों के प्रश्नों का विस्तार से उत्तर दिया।
वाराणसी से कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए नाटककार जयदेव दास ने उपन्यासकार के वक्तव्य पर टिप्पणी करते हुए उन्हें भविष्य हेतु शुभकामना दी। उन्होंने ‘सृजन संवाद’ की सक्रियता का उल्लेख करते हुए मंच, मंच के पीछे तथा फ़ेसबुक लाइव से जुड़े श्रोताओं/दर्शकों, पत्रकारों, पोस्टर निर्माता तन्मय कुमार सोलंकी का धन्यवाद किया। ‘सृजन संवाद’ की प्रमुख डॉ. विजय शर्मा ने 3 मई 2024 को सत्यजित राय पर होने वाले करीम सिटी कॉलेज, न्यू डेल्ही फ़िल्म फ़ाउंडेशन तथा साहित्य कला फ़ाउंडेशन के सम्मिलित कार्यक्रम की जानकारी देते हुए साहित्य-सिने प्रेमियों को इसमें भाग लेने केलिए आमंत्रित किया। सत्यजित राय के समारोह को प्रसिद्ध सिने-निर्देशक घौतम घोष तथा सुपरिचित रचनाकार चंदन पाण्डेय संबोधित करेंगे। इसी के साथ 135वें कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा हुई।
कार्यक्रम में सृजन संवाद फ़ेसबुक लाइव के माध्यम में देहरादून से सिने-समीक्षक मनमोहन चड्ढा, दिल्ली से राकेश कुमार, आशीष कुमार सिंह, बनारस से जयदेव दास, जमशेदपुर से करीम सिटी-मॉसकॉम प्रमुख डॉ. नेहा तिवारी, डॉ. क्षमा त्रिपाठी, डॉ. मीनू रावत, गीता दूबे, आभा विश्वकर्मा, गोरखपुर से पत्रकार अनुराग रंजन, डॉ. उमा उपाध्याय, राँची से तकनीकि सहयोग देने वाले ‘यायावरी वाया भोजपुरी’ फ़ेम के वैभव मणि त्रिपाठी, गुजरात से रचनाकार उमा सिंह, गोमिया से प्रमोद कुमार बर्णवाल, इलाहाबाद से डॉ. सुप्रिया पाठक, बैंग्लोर से पत्रकार अनघा, लखनऊ से डॉ. मंजुला मुरारी, डॉ. राकेश पाण्डेय, चितरंजन से डॉ. कल्पना पंत, आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। जिनकी टिप्पणियों से कार्यक्रम और समृद्ध हुआ। ‘सृजन संवाद’ की मई मास की गोष्ठी (136वीं) की घोषणा के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।