29 वर्षो के बाद चौथी बार फिर आईएस ने संभाला एसडीएम का पदभार,भ्रष्टाचार के लंबी फेहरिस्त की गहराइयों में डूबा बिक्रमगंज को क्या आईएस अनिल दिला पाएंगे निजात,बना यक्षप्रश्न,1993 में पहले आईएस थे सीके अनिल…
सासाराम /बिक्रमगंज (दुर्गेश किशोर तिवारी):- 1984 में बिक्रमगंज को अनुमंडल का दर्जा प्राप्त हुआ था। तब से कई प्रशासनिक पदाधिकारी आय और गए।लेकिन आज भी इस अनुमंडल क्षेत्र के विकास की गाड़ी बीच मझधार में ही फसती नजर आ रही है।सड़क तो चकाचौंध हुआ पर स्वास्थ्य शिक्षा आदि की खस्ताहाली आज भी अपने अतीत की गाथा सुना रही है।इसके अलावा नगर से लेकर ब्लॉक तक ब्याप्त भ्रष्टाचार, लूटखसोट, रिश्वत व कमीशनखोरी परवान चढ़ बोल रहा है एवं निरंतर दलालो से घिरे होने का आरोप भी लगते रहे है।शहर बाजारों की चरमराई ट्रैफिक ब्यवस्था की हालत क्या है यह किसी से छुपा नही है।पदभार ग्रहण के पश्चात शुरुआती दौर में तो अधिकारी तडक भड़क दिखाते रहे है। लेकिन समय के साथ ही उनकी कार्यशैली शिथिल हो जाते है ।वजह चाहे जो भी हो।किसी ने ज्वलंत समस्याओं का कायाकल्प करने का प्रयास नही किया।यह अनुमंडल दशको से विभिन्न सरकारी कार्यालयों में ब्याप्त भ्रष्टाचार, लूटखसोट, रिश्वतखोरी,दलालो से घिरे होने का आरोप झेल रहा है।वावजूद तत्कालीन आईएएस सीके अनिल के बाद किसी अधिकारी ने अबतक इस आरोप से मुक्ति दिलाने का प्रयास नही किया। वर्ष 1993 में इस अनुमंडल को पहली बार यानी वजूद में आने के बाद 19 वर्षो के अंतराल पर आइएस सीके अनिल की पदस्थापना हुई।तब तत्कालीन आईएस एसडीओ ने न केवल नियम कानून के पक्के व सख्त माने जाने वाले थे बल्कि अपने कार्यशैली के बदौलत प्रशासनिक महकमों को चुस्तदुरुस्त कर एक मजबूत छाप छोड़ा।इमानदर छवि होने के चलते अपने दायित्वों व कर्तब्यों के प्रति पूरी निष्ठा से काम करते हुए अनुमंडलवासियो के दिलो दिमाग में अपनी गहरी पैठ भी बनाने में कामयाब रहे।तत्कालीन आईएस एसडीओ ने अपने कार्यशैली के जरिये लोगो में जागरूकता का संचार भी किया तथा यह बताने में भी सफल रहे कि एक एसडीओ का दायरा व अधिकार क्या होता है।जिसका परिणाम है कि गांव चौपाल से लेकर शहर बाजारों के राजनीतिक, समाजिक व बुद्धजीवी आदि वर्गो में आज भी जब किसी अधिकारी की चर्चा होती है तो उसमें सीके अनिल का नाम अव्वल दर्जे के अधिकारी के रूप में याद किये जाते रहे है तथा कार्यकाल का गुड़गान करते नही थकते थे।लोग बताते है कि 93 के दशक में गलत मनसूबे वाले लोगो की खैर नही था तथा प्रशासनिक विभाग का दुरुस्त नजर आने लगी थी एवं रिश्वतखोरी या विकास कार्यो में लूटखसोट का नामोनिशान लगभग मृतप्राय सी हो गई थी।हालांकि आईएस सीके अनिल के जाने के बाद एक और आईएस वर्ष 1997 में सतेंद्र कुमार का बतौर एसडीओ के पद पर पदस्थापना बिक्रमगंज में हुई थी।लेकिन जनता के बीच अपनी कार्यशैली के बदौलत लोकप्रियता कायम नही कर सके।इसी तरह लंबे समय यानी करीब 23 वर्षो के अन्तर्राल के बाद वर्ष 2021 में पुनः बिक्रमगंज में एक और तीसरी व पहली बार आईएस अधिकारी के रूप में एक महिला एसडीएम के पद पर प्रियंका रानी का पदस्थापना हुआ है।लेकिन यह भी अपनी कार्यशैली के बदौलतत अपनी लोकप्रियता जनता के बीच बनाने में काफी हद तक सफल नही हो पाई।जुलाई 022 में बिहार प्रशासनिक सेवा से उपेंद्र कुमार पाल का एसडीओ के रूप में पदस्थापन हुई।ढेड़ वर्षो के कार्यकाल में न केवल बिक्रमगंज नगर परिषद में सौंदर्यीकरण का रूपरेखा खीच विकासत्मक लकीरे तैयार किया। बल्कि अतिक्रमणकारियो पर शिकंजा कस सड़क जाम की समस्या से लोगो को निजात दिलाने की दिशा में प्रयासरत रहकर लोगो का दिल जीत अपनी पहचान बनाने का भी कार्य किया।गुरुवार को पुनः चौथे आईएएस अधिकारी के रूप में अनिल बसाक ने एसडीओ के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया है।फिलहाल आईएस अधिकारी से अनुमंडल की जनता आशा व उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है कि क्या तत्कालीन आईएस एसडीओ सीके अनिल एव बिप्रसे उपेंद्र कुमार पाल द्वारा खिंचा गया खाका को कायम रख पाएंगे या नही।क्योकि भ्रस्टाचार सहित ऐसे कई ज्वलंत मुद्दे है जो इस अनुमंडल में कैंसर का रूप धारण कर चुका है तथा जनता त्राही त्राही कर रही है।यह सवाल भविष्य के गर्भ में है।लेकिन चौथी बार आईएस एसडीओ के पद पर अनिल बसाक के आसीन होने से लोगो मे काफी उत्साह देखी जा रही है।