Food Poisoning: गर्मियों में लापरवाही बन सकती है जान की दुश्मन, एक्सपर्ट से जानें फूड पॉइजनिंग होने पर क्या करें…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:-तापमान बढ़ने की वजह से Food Poisoning का रिस्क गर्मियों (Summer) में बढ़ सकता है। खाने में जर्म्स पनपने की वजह से फूड पॉइजनिंग होती है जो काफी खतरनाक साबित हो सकती है। इसलिए अगर आप भी इस बीमारी से बचना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपको जरूर पढ़ना चाहिए। आइए जानें हेल्थ एक्सपर्ट से कि फूड पॉइजनिंग कितनी खतरनाक हो सकती है और यह होने पर क्या करना चाहिए।
बढ़ती गर्मी (Summer) में फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। तापमान बढ़ने की वजह से बैक्टीरिया और अन्य जीवाणुओं को पनपने के लिए अनुकूल वातावरण मिल जाता है, जिसकी वजह से वे फूड पॉइजनिंग के रूप में अपना आतंक फैलाने में आसानी कामयाब हो सकते हैं। इसलिए गर्मियों में अगर खाने-पीने की चीजों के रखने में एहतियात न बरती जाए, तो उनमें बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं और वे खाना खराब कर देते हैं।
उस संक्रमित खाने को खाने की वजह से Food Poisoning हो सकती है। ऐसे ही बाजार से खरीदकर लाए फलों और सब्जियों को भी खाने से पहले अच्छे से न धोया जाए, तो भी फूड पॉइजनिंग का खतरा रहता है। इसलिए गर्मी के मौसम में फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning in Summer) को लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है। इसलिए फूड पॉइजनिंग से जुड़े कुछ अहम सवाल जैसे- यह कंडिशन कितनी खतरनाक हो सकती है और अगर फूड पॉइजनिंग हो जाए, तो क्या करना चाहिए का जवाब जानने के लिए हमने मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल गुरूग्राम, के गैस्ट्रोएंटीरिओलॉजी के वरिष्ठ कंसल्टेंट, डॉ. महेश कुमार गुप्ता, से बात की। आइए जानते हैं, इस बारे में उन्होंने क्या सलाह दी।
कितनी खतरनाक है फूड पॉइजनिंग?
डॉ. गुप्ता ने बताया कि Food Poisoning एक गंभीर हेल्थ रिस्क है, जो गर्मियों में खासतौर से बढ़ जाती है, क्योंकि इस मौसम में जर्म्स जल्दी बढ़ते हैं और खाने को खराब कर देते हैं। फूड पॉइजनिंग की गंभीरता इस बात पर भी निर्भर करती है कि यह किस बैक्टीरिया या अन्य किसी जीवाणुं की वजह से हुआ है, लेकिन इसके सबसे आम लक्षणों (Food Poisoning Symptoms) में मितली, उल्टी, डायरिया और पेट में ऐंठन शामिल हैं।
फूड पॉइजनिंग के गंभीर मामलों में ऑर्गन डैमेज और डिहाइड्रेशन का जोखिम भी रहता है। यह खतरा ज्यादातर बुजुर्गों, छोटे बच्चों और कमजोर इम्युनिटी के लोगों में रहता है। इसलिए खाने की वजह से होने वाली ऐसी बीमारियों के खतरे को कम करने के लिए गर्मियों में खासतौर से सावधानी का ध्यान रखना चाहिए (Food Poisoning Prevention), जैसे- नियमित रूप से हाथ धोएं, खाने को अच्छे से पकाएं और उसे स्टोर भी सही तापमान पर करें, ताकि उसमें जर्म्स न पैदा हों।
क्या फूड पॉजनिंग जानलेवा हो सकती है?
इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा कि हां, फूड पॉइजनिंग कुछ मामलों में जानलेवा भी हो सकती है, अगर इसका वक्त पर इलाज न किया जाए तो। बुजुर्गों , बच्चों और कमजोर इम्युनिटी के लोगों में इसका जोखिम अधिक रहता है। Food Poisoning के गंभीर परिणामों में ऑर्गन डैमेज, ब्लड पॉइजनिंग ( Septicemia) और न्यूरोलॉजिकल परेशानियां भी हो सकती हैं। इनके पीछे कुछ बैक्टीरिया, जैसे- सालमोनेला ई कोलाई और लिस्टेरिया जिम्मेदार हो सकते हैं। ऐसा काफी कम मामलों में होता है, लेकिन फूड पॉइजनिंग की वजह से जान भी जा सकती है। खासकर अगर इलाज में देरी हो या मरीज पहले से बीमार हो तो।

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फूड पॉइजनिंग के लक्षण क्या होते हैं?
फूड पॉइजनिंग की वजह से उल्टी, दस्त, बुखार, मितली, डायरिया, पेट दर्द, मल में रक्त स्त्राव, सिर दर्द, थकान, चक्कर आना, कमजोरी, शरीर में दर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं, जो वक्त के साथ गंभीर हो सकते हैं, अगर समय से इलाज न मिले तो।

फूड पॉइजनिंग होने पर क्या करें?
डॉ. गुप्ता ने बताया कि अगर आपको या आपके घर में किसी को फूड पॉइजनिंग हो गई है, तो सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि वे इसका कारण समझकर, उस हिसाब से आपको दवाइयां दे सकते हैं। इसलिए आपने क्या खाया, कब खाया और कहां से खाया ये सारी जानकारियां उनके साथ साझा करें, ताकि वे आपकी परेशानी को बेहतर तरीके से समझकर इलाज कर सकें। इसके अलावा, खूब सारा पानी पीएं, ताकि डिहाइड्रेशन न हो। ओआरएस (ORS) पीएं, जिससे उल्टी और दस्त की वजह से शरीर में एलेक्ट्रोलाइट्स के असंतुलन को ठीक किया जा सके। साथ ही, कुछ समय के लिए सॉलिड फूड न खाएं, क्योंकि इससे डाइजेस्टिव ट्रैक (पाचन तंत्र) को आराम मिलेगा और वह जल्दी ठीक हो पाएगा।

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