उड़न दस्ता छापामारी दल ने दी दस्तक, झोला छाप चिकित्सकों की अब खैर नहीं !

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सरायकेला:- स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग की जिला स्तरीय उड़न दस्ता छापमारी दल ने शनिवार को चांडिल एवं नीमडीह प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में छापामारी अभियान चलाया । छापामारी दल का नेतृत्व डॉ. जुझार माझी,अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, सरायकेला -खरसावां कर रहे थे। छापामारी अभियान की शुरुआत चांडिल के चीलगू क्षेत्र से की गई, चीलगू में ममता क्लीनिक ,महतो पोली क्लीनिक एवं शिव- दुर्गा क्लिनिक का निरीक्षण किया गया। ममता क्लीनिक एवं महतो पोली क्लीनिक निबंधित पाई गई जबकि शिव दुर्गा क्लीनिक में अनियमितताएं देखने को मिली है ।क्लीनिक बिना निबंधन के संचालन करते पाया गया एवं बिना किसी फार्मासिस्ट के दवाइयां बिक्री करते पाया गया। तत्पश्चाप दल द्वारा चांडिल के घोड़ानेगी में स्थित जीवनदीप क्लीनिक का निरीक्षण किया गया। जीवनदीप क्लिनिक भी निबंधित एवं सामान्य पाई गई । पुनः निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार नीमडीह प्रखंड के अंतर्गत गोपी मेडिकल स्टोर एण्ड क्लीनिक रघुनाथपुर, गांधी सेवा सदन क्लिनिक आदरडीह, सुधीर कुमार प्रसाद क्लीन समनपुर, गोविंद क्लिनिक चालियामा, लक्ष्मी मेडिकल स्टोर चालियामा तथा डॉक्टर अरुण चंद्र गोराई क्लिनिक, चालियामा में दल द्वारा निरीक्षण किया गया । उक्त सभी क्लिनिक में कोई योग्य चिकित्सक नहीं पाए गए, बिना निबंधन के सभी क्लिनिक संचालित पाई गई जिस पर क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत कार्रवाई करने की बात कही गई।

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डॉ. जुझार माझी ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों में खौफ का माहौल था, सामान्य बिमारियों का इलाज करवाने में भी विभाग को काफी परेशानियां आई थी। परिणाम स्वरूप झोलाछाप चिकित्सक आपदा को अवसर बना कर पनपने लगे। क्षेत्र में मनमानी तरीके से झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज के कारण लोगों में कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल रही है। एस्टेरॉइड एवं हायर एंटीबायोटिक मेडिसिन का अंधाधुंध उपयोग से इम्युन सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी देखी जा जा रही है, छोटी -छोटी बिमारियां जो सामान्य दवाईयों से ठीक हो जाती थी अब गम्भीर बिमारियां बनती जा रही है। इसका प्रमुख कारण है अप्रशिक्षित झोलाछाप चिकित्सक के द्वारा बिना किसी मापदंड के दवाईयों का डोज निर्धारित कर रोगियों को उपलब्ध कराना।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य- समय रहते हमें स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार लाना है।आर.एम.पी. चिकित्सकों को दायरे में रहकर चिकित्सा सेवा प्रदान करना होगा, उन्हें किसी निबंधित डीग्रीधारी चिकित्सक के परामर्श से ही सहयोगी बन कर चिकित्सा सेवा प्रदान करना है न कि मनमानी ढंग से। किसी भी हालत में अवैध व मनमानी चिकित्सा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चिकित्सा सेवा गाइडलाइन को फॉलो करते हुए देना होगा।
आगे उन्होंने बताया कि
क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट राज्य में लागू होने से काफी हद तक इस मामले में सुधार हुआ है। अब तक इस जिले में 75 झोलाछाप चिकित्सकों के विरुद्ध कार्रवाई हुई है, 40 अवैध रूप से संचालित क्लीनिक को स्थाई रूप से बंद कराए गए हैं।

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डॉ.माझी ने बातचीत के क्रम में लोगों से अपील किये कि किसी भी परिस्थिति में झोलाछाप चिकित्सकों के झांसे में नहीं आएं। छोटी- बड़ी जैसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हों आप अपने निकट के सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में जरूर जाएं ‌। सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पहले की अपेक्षा अब काफी ज्यादा दुरूस्त है।

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