ईद मुबारक! रमज़ान के बाद नेमतों की सौगात लेकर आई ईद-उल-फितर, जानिए इसका महत्व और इतिहास…



लोक आलोक सेंट्रल डेस्क:रमज़ान के पूरे महीने की इबादत, रोज़े और संयम के बाद मुसलमानों के लिए सबसे बड़ा तोहफा होता है ईद-उल-फितर। इसे “मीठी ईद” भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन खासतौर पर सिवइयां बनाई जाती हैं और मीठे पकवानों के साथ खुशियां बांटी जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ईद-उल-फितर की शुरुआत कब और कैसे हुई थी? आइए जानते हैं इस खास त्योहार का इतिहास और महत्व।

ईद-उल-फितर का इतिहास
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, ईद-उल-फितर की शुरुआत इस्लाम के पैगंबर हज़रत मोहम्मद के समय हुई थी। जब वे मदीना पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि वहां के लोग दो खास दिनों को त्योहार के रूप में मनाते थे। इस पर उन्होंने कहा कि अल्लाह ने इन त्योहारों से भी बेहतर दो दिन दिए हैं—ईद-उल-फितर और ईद-उल-अज़हा।
ईद-उल-फितर रमज़ान के खत्म होने के अगले दिन मनाई जाती है, जो इस्लामी कैलेंडर के दसवें महीने शव्वाल की पहली तारीख होती है। इसका ऐलान चांद दिखने के बाद किया जाता है, इसलिए इसे चांद वाली ईद भी कहा जाता है।
ईद-उल-फितर का धार्मिक और सामाजिक महत्व
ईद सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह इबादत, रहमत और इंसानियत का पैगाम भी देता है। रमज़ान के दौरान मुसलमान रोज़े रखते हैं, खुदा की इबादत करते हैं, और अपनी बुरी आदतों को छोड़कर नेक रास्ते पर चलने की कोशिश करते हैं। ईद-उल-फितर उसी समर्पण और संयम का इनाम मानी जाती है।
इस दिन की सबसे खास परंपरा सदका-ए-फित्र या फित्रा देना है। यह दान उन गरीबों को दिया जाता है, जिनके पास ईद मनाने के लिए साधन नहीं होते। इस्लाम में इसे अनिवार्य माना गया है ताकि समाज के हर तबके के लोग इस खुशी में शामिल हो सकें।
ईद की खुशियों का अनोखा अंदाज
ईद की शुरुआत सुबह की खास नमाज़ से होती है, जिसे ईदगाह या मस्जिद में अदा किया जाता है। इसके बाद लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं और “ईद मुबारक” कहते हैं। घरों में तरह-तरह की मिठाइयां और पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें शीरखुर्मा और सिवइयां सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं।
इस दिन रिश्तेदारों और दोस्तों के घर जाने की परंपरा भी है, जिससे आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ता है। बच्चे ईदी पाने के लिए सबसे ज्यादा उत्साहित रहते हैं, जो बड़े उन्हें उपहार या पैसे के रूप में देते हैं।
ईद का संदेश: प्रेम, शांति और भाईचारे का त्योहार
ईद-उल-फितर हमें सिखाता है कि समाज में अमीर-गरीब का भेदभाव नहीं होना चाहिए। यह त्योहार हमें आपसी प्यार, सद्भावना और दया का संदेश देता है। जब पूरी दुनिया में अशांति और द्वेष बढ़ रहा है, तब ईद हमें एकजुट होकर प्रेम और इंसानियत का पैगाम देती है।
तो इस बार ईद-उल-फितर पर न सिर्फ अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियां बांटें, बल्कि जरूरतमंदों की मदद कर इस त्योहार की असली भावना को साकार करें।
ईद मुबारक!
