DOCTOR’S DAY SPECIAL : क्या आप जानते हैं आखिर कौन था भारत का सबसे पहला डॉक्टर, कौन से शहर के रहने वाले थे देश के पहले डॉक्टर…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:भारत के सबसे पहले डॉक्टर के रूप में प्रसिद्ध व्यक्ति का नाम “सुरेंद्रनाथ घोष” (Dr. Surendranath Ghosh) था। उनका जन्म 26 अप्रैल 1848 को हुआ था। सुरेंद्रनाथ घोष ने कोलकाता के मेडिकल कॉलेज से अपनी चिकित्सा शिक्षा पूरी की और ब्रिटिश भारत के पहले भारतीय एमडी (मेडिसिन डॉक्टर) बने।
सुरेंद्रनाथ घोष का जन्म एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता एक सम्मानित वकील थे और परिवार में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में प्राप्त की और फिर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया।
सुरेंद्रनाथ घोष ने कोलकाता मेडिकल कॉलेज से 1869 में चिकित्सा शिक्षा पूरी की। उस समय भारतीय समाज में चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करना काफी चुनौतीपूर्ण था, खासकर अंग्रेजों के शासन के दौरान। घोष ने इन सभी चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी और सफलतापूर्वक एमडी की डिग्री प्राप्त की।
अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, सुरेंद्रनाथ घोष ने कोलकाता में प्रैक्टिस शुरू की। उन्होंने जल्द ही अपने चिकित्सा कौशल और समर्पण के कारण प्रतिष्ठा प्राप्त की। घोष ने न केवल रोगियों का इलाज किया, बल्कि चिकित्सा शिक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई छात्रों को चिकित्सा के क्षेत्र में प्रेरित किया और उन्हें प्रशिक्षित किया।
सुरेंद्रनाथ घोष ने चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के अलावा समाज सेवा में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने गरीब और जरूरतमंद लोगों के इलाज के लिए कई मुफ्त चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया। उनकी समाज सेवा और चिकित्सा में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार मिले।
सुरेंद्रनाथ घोष ने भारतीय चिकित्सा क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके योगदान को आज भी सराहा जाता है। उन्होंने जो पथ प्रदर्शित किया, उस पर चलते हुए कई भारतीय चिकित्सकों ने चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। उनकी मेहनत, समर्पण और सेवा भावना ने भारतीय चिकित्सा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा है।
सुरेंद्रनाथ घोष न केवल भारत के पहले डॉक्टर थे, बल्कि उन्होंने चिकित्सा शिक्षा और समाज सेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जीवन और कार्य आज भी नई पीढ़ी के चिकित्सकों के लिए प्रेरणास्रोत है। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा और भारतीय चिकित्सा क्षेत्र में उनका नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
इस प्रकार, सुरेंद्रनाथ घोष भारतीय चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी थे और उनके कार्यों का प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है।