आदित्यपुर में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ जिला स्तरीय शिक्षा कन्वेंशन आयोजित…
आदित्यपुर: आज ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (AIDSO) की सरायकेला खरसावां जिला कमिटी द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ आदित्यपुर में एक जिला स्तरीय शिक्षा कन्वेंशन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में उपस्थित संगठन के प्रदेश सचिव सोहन महतो ने अपने संबोधन में कहा कि छात्रों और शिक्षाप्रेमियों की यह लड़ाई सिर्फ शिक्षा बचाने की नहीं, बल्कि सभ्यता और इंसानियत को बचाने की भी है।
महतो ने जोर देकर कहा कि सरायकेला खरसावां में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि शिक्षा बजट में कटौती और आवश्यक संसाधनों की कमी के कारण सार्वजनिक शिक्षा तंत्र संकट में है। नई शिक्षा नीति 2020 के लागू होने से यह संकट और गहरा हो गया है, क्योंकि यह नीति शिक्षा के निजीकरण, व्यापारीकरण, और सांप्रदायिकरण की दिशा में उठाया गया कदम है।
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा का उद्देश्य छात्रों में तार्किक सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना होना चाहिए, लेकिन एनईपी 2020 के अंतर्गत डार्विन के सिद्धांतों जैसे स्थापित वैज्ञानिक सिद्धांतों को भी पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। उच्च शिक्षा में शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता समाप्त कर, शिक्षा के केंद्रीकरण के नाम पर सारा नियंत्रण केंद्र सरकार के हाथों में किया जा रहा है। महतो ने कहा कि यह नीति शिक्षा प्रशासन को केंद्रीकृत करने और शिक्षा के मामलों को पूरी तरह से नियंत्रित करने की प्रवृत्ति को इंगित करती है। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 का मुख्य उद्देश्य शासक वर्ग द्वारा शिक्षा पर हो रहे हमलों के बावजूद धर्मनिरपेक्ष, जनवादी, और वैज्ञानिक शिक्षा के बचे-खुचे अवशेषों को समाप्त करना है।
कार्यक्रम के दौरान एआईडीएसओ के जिला कार्यालय सचिव युधिष्ठिर प्रामाणिक ने संचालन किया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का परिणाम है कि स्कूल, कॉलेज, और विश्वविद्यालयों में भारी फीस वृद्धि हो रही है और सरायकेला खरसावां में स्थाई शिक्षकों के सैकड़ों पद खाली पड़े हैं।
इस कार्यक्रम में राज्य सचिव मंडली के सदस्य विशाल बर्मन, सोनी सेनगुप्ता, जिला अध्यक्ष विशेश्वर महतो, सचिव प्रभात महतो, अमन सिंह, कार्तिक गोप, लक्कीकांत पातर, राजा प्रमाणिक सहित सैकड़ों छात्र प्रतिनिधियों ने भाग लिया और इस नीति के खिलाफ अपने समर्थन और विरोध को जाहिर किया।