145वें सृजन संवाद में प्रवासी कथाकार सुषम बेदी पर चर्चा
जमशेदपुर –‘सृजन संवाद’ साहित्य, सिनेमा एवं कला की संस्था ने 145वीं संगोष्ठी स्ट्रीमयार्ड तथा फ़ेसबुक लाइव द्वारा प्रसिद्ध प्रवासी लेखिका की कहानियों के इंग्लिश अनुवाद पर आई नई किताब ‘ए प्लेस कॉल्ड होम’ पर चर्चा का आयोजन किया। 24 जनवरी 2025, शाम सात बजे से किताब की संपादक, एवं दो अन्य वक्ताओं से सुषम बेदी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर गंभीर चर्चा हुई। इस किताब में उनकी 14 कहानियों को सात अनुवादकों ने इंग्लिश में ढ़ाला है।
वार्ता केलिए दिल्ली से डॉ. रेखा सेठी, अनिल जोशी तथा लंदन की दिव्या माथुर उपस्थित थीं। परिचय-धन्यवाद ज्ञापन एवं संचालन डॉ. विजय शर्मा ने किया।
डॉ. विजय शर्मा ने विषय परिचय देते हुए वक्ताओं तथा फ़ेसबुक लाइव श्रोताओं/दर्शकों का स्वागत किया। उन्होंने सुषम बेदी से अपने संबंध, खासकर विशाखापत्तनम एवं भोपाल में हुई मुलाकातों, उनको पढ़ने, अपने शोधकार्य में उन्हें शामिल करने, उनके उपन्यास-कहानियों पर अपने काम का जिक्र किया। उन्होंने वातायन यूके, यूरोप की संस्थापक, रॉयल सोसाइटी ऑफ़ की फ़ेलो, आशा फ़ाउंडेशन की संस्थापक-सदस्य, कई सम्मान प्राप्त लेखिका, संपादक, अनुवादक पहली वक्ता दिव्या माथुर का परिचय दिया। दिव्या माथुर की कहानी, ‘सांप सीढ़ी’ पर एक टेली-फ़िल्म बनी है। डॉ. निखिल कौशिक ने उन पर ‘घर से घर तक का सफ़र: दिव्या माथुर’ फ़िल्म बनाई है।
दिव्या माथुर ने सुषम बेदी से अपने गर्माहट भरे संबंधों को बड़े प्रेम से स्मरण किया। बेदी ने उन्हें पढ़ाया था और लिखने की ओर प्रेरित किया था। उन्होंने सुषम बेदी के लेखन को पढ़ा है और प्रवासी के रूप में उनके पात्रों के सुख-दु:ख को अपने जीवन में अनुभव किया है। ‘ए प्लेस कॉल्ड होम’ हेतु दिव्या माथुर ने प्रो. रेखा सेठी, साहित्य अकादमी एवं अनुवादकों को बधाई दी। उन्होंने अपनी कहानियों का भी जिक्र किया जिनमें प्रवासी के संघर्ष दर्ज हैं।
दूसरे वक्ता लेखक विचारक चिंतक अनिल जोशी कई वैश्विक संस्थाओं के संस्थापक, लेखक, अनुवादक, कवि, संपादक हैं। हाल में उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा की पत्रिका ‘रंग प्रसंग’ का संपादन किया है। 9 वर्ष उन्होंने ब्रिटेन एवं फ़ीजी में प्रवास किया है। डॉ. सेठी एवं साहित्य अकादमी की सराहना करते हुए उन्होंने किताब के अनुवाद केलिए हुए वर्कशॉप, उसमें हुए विचार-विमर्श को महत्वपूर्ण बताते हुए चुनी चौदह कहानियों पर अपनी बात रखी, अनुवाद को उन्होंने उत्तम बताया। साथ ही सुषम बेदी से अपने लम्बे संबंध को याद किया। उन्होंने लंदन हाई कमीशन में रहते हुए बेदी के कई कार्यक्रम आयोजित किए थे। कहानियों में जोशी ने खासतौर पर ‘दि एंड’ (अवसान) की चर्चा की और कहा यह किताब शोधार्थियों केलिए उपयोगी साबित होगी।
लेखक, आलोचक, संपादक और अनुवादक प्रो. रेखा सेठी इंद्रप्रस्थ कॉलेज में पढ़ाती हैं, इस कॉलेज से सुषम बेदी का भी गहरा संबंध रहा है। प्रो. सेठी की 17 किताबें प्रकाशित हैं, वे ड्यूक यूनिवर्सिटी की आयोजित वक्तव्य शृंखला की अध्यक्ष रही हैं, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी हेतु वेब लेक्चर शृंखला सह-आयोजित की है। कई सम्मान प्राप्त डॉ. सेठी ने ‘ए प्लेस कॉल्ड होम’ की रूपरेखा बनाने, इस हेतु साहित्य अकादमी में वर्कशॉप अयोजित करने, किताब को मूर्त रूप देने में प्रमुख भूमिका अदा की है। उन्होंने सुषम बेदी के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि ‘ए प्लेस कॉल्ड होम’ की सातों अनुवादिका इंग्लिश शिक्षण से जुड़ी हैं, अत: भाषा को लेकर कोई दिक्कत न थी पर असल काम कहानियों में निहित भावों को पकड़ना था। इस काम केलिए कई ड्राफ़्ट बने और कई बार मूल कहानियों एवं अनुवाद का वाचन किया गया। किताब की भूमिका उन्होंने सह-संपादक के साथ मिल कर लिखी है, जिसमें ये सारी बातें आई हैं, बताया क्यों कुछ कहानियों के शीर्षक इंग्लिश में बदले गए हैं, जैसे ‘गुनहगार’ को ‘गिल्ट’ किया गया है, ‘गिल्टी’ नहीं। किताब में डॉ. रेखा द्वारा लिया गया सुषम बेदी का एक लंबा साक्षात्कार भी शामिल है। मंच के माध्यम से उन्होंने किताब से जुड़े लोगों का आभार प्रकट किया। किताब बेदी के कार्य को नए पाठकों तक ले जाएगी ऐसी आशा है।
वक्ताओं ने सृजन संवाद के निरंतर चलने वाले कार्यक्रमों की सराहना की। डॉ. विजय शर्मा ने वक्तव्यों को समेटते हुए वक्ताओं, फ़ेसबुक से जुड़े साथियों, स्ट्रीमयार्ड संचालक, मीडिया का धन्यवाद किया। 90 मिनट से ऊपर चले इस कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग शीघ्र सृजन संवाद यूट्यूब पर उपलब्ध होगी।
145वें सृजन संवाद के इस कार्यक्रम में फ़ेसबुक लाइव माध्यम से देहरादून से सिने-समीक्षक मनमोहन चड्ढा, दिल्ली से रक्षा गीता, राँची से वैभव मणि त्रिपाठी, गोरखपुर से अनुराग रंजन, बंबई से विमल चंद्र पाण्डेय, गुजरात से डॉ. उमा सिंह, जमशेदपुर से डॉ. क्षमा त्रिपाठी, डॉ. मीनू रावत, डॉ. नेहा तिवारी, गीता दुबे, क्षमा त्रिपाठी, आभा विश्वकर्मा, अर्चना अनुपम, ऋचा द्विवेदी, वीणा कुमारी, अन्य स्थानों से दीक्षा गुप्ता, अमित गंगवार, शिवानी यादव, सुनीता पाहुजा, प्रियंका कटारिया, निशा गुप्ता, अनीता कपूर, सिमरन कौर एल, बुपेंद्र कुमार, मलिक मोहम्मद नसेरी, जितेंद्र आदि जुड़े। इनकी टिप्पणियों से कार्यक्रम और अधिक सफ़ल हुआ। इस कार्यक्रम से सृजन संवाद में कुछ नए सदस्य जुड़े। 9 फ़रवरी के कार्यक्रम की घोषणा के साथ कार्यक्राम समाप्त हुआ।