दिलीप घोष 61 वर्ष की उम्र में बंधेंगे विवाह बंधन में, साथी बनीं भाजपा नेत्री रिंकू मजूमदार…



लोक आलोक सेंट्रल डेस्क:भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, बंगाल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद दिलीप घोष अपने जीवन के 61वें वर्ष में विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं। यह विवाह 19 अप्रैल को कोलकाता के न्यू टाउन स्थित उनके आवास पर पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न होगा। उनकी जीवन संगिनी बनने जा रही हैं रिंकू मजूमदार, जो कि भाजपा की दक्षिण कोलकाता इकाई की सक्रिय नेता और पार्टी की समर्पित कार्यकर्ता हैं।


राजनीति से रिश्तों तक: एक सजीव यात्रा
दिलीप घोष और रिंकू मजूमदार की पहली मुलाकात भाजपा के संगठनात्मक कार्यों के दौरान हुई थी। पार्टी की गतिविधियों और कार्यक्रमों में दोनों की नियमित भागीदारी के दौरान यह रिश्ता धीरे-धीरे गहराता गया। वर्षों तक साथ काम करते हुए एक-दूसरे को समझने और जानने का अवसर मिला, और अब यह संबंध विवाह रूपी पवित्र बंधन में बंधने जा रहा है।
यह खबर जैसे ही सामने आई, राजनीतिक हलकों से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा का विषय बन गई। लोग एक ओर दिलीप घोष के इस निजी निर्णय का स्वागत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसे “प्यार की कोई उम्र नहीं होती” का एक सशक्त उदाहरण भी मान रहे हैं।
सरल समारोह, आत्मीय उपस्थिति
सूत्रों के मुताबिक यह विवाह एक बेहद सादा और पारिवारिक समारोह होगा, जिसमें नजदीकी रिश्तेदारों और कुछ चुनिंदा पार्टी नेताओं की उपस्थिति रहेगी। विवाह की रस्में बंगाली रीति-रिवाजों के अनुसार पूरी की जाएंगी। हालांकि कोई भव्य सार्वजनिक आयोजन नहीं होगा, लेकिन दिलीप घोष के समर्थकों और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच इस विवाह को लेकर काफी उत्साह है।
राजनीति से बाहर की नई शुरुआत
दिलीप घोष, जो कि एक लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे और फिर भाजपा में महत्वपूर्ण पदों पर रहे, ने सार्वजनिक जीवन में अपनी स्पष्ट वक्तृत्व शैली, निर्भीक रवैये और जुझारू नेतृत्व के लिए ख्याति प्राप्त की है। उनका यह कदम न केवल व्यक्तिगत जीवन की एक नई शुरुआत है, बल्कि यह उन सभी के लिए प्रेरणा भी बन सकता है जो सोचते हैं कि जीवन में किसी भी मोड़ पर नई शुरुआत नहीं की जा सकती।
रिंकू मजूमदार: एक कर्मठ कार्यकर्ता
रिंकू मजूमदार पिछले कई वर्षों से भाजपा से जुड़ी हुई हैं। वह दक्षिण कोलकाता में पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय रही हैं और संगठन के विकास में उनका योगदान सराहनीय रहा है। वे एक सुलझी हुई, नीतिपरक और ऊर्जावान महिला नेत्री मानी जाती हैं। पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं के बीच उनकी एक सम्मानित छवि रही है।
राजनीति जैसे व्यस्त क्षेत्र में वर्षों से सक्रिय रहने वाले दिलीप घोष का यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि जीवन में सार्वजनिक दायित्वों के साथ-साथ निजी जीवन को भी संजोना जरूरी है। वे पहले भी कहते आए हैं कि जीवन में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है – और यह विवाह उसी संतुलन की दिशा में एक कदम कहा जा सकता है।
सोशल मीडिया पर इस खबर को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं, लेकिन अधिकतर लोगों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर लोग शुभकामनाएं दे रहे हैं और इसे “प्यार, समझ और आपसी सम्मान” की मिसाल बता रहे हैं।
दिलीप घोष और रिंकू मजूमदार का यह विवाह न केवल निजी जीवन की एक खूबसूरत शुरुआत है, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी है कि उम्र चाहे जो भी हो, अगर दो लोग एक-दूसरे के प्रति विश्वास, सम्मान और स्नेह रखते हैं, तो साथ आने का निर्णय कभी भी लिया जा सकता है।
