बिक्रमगंज के धीरज प्रकाश को मिली बीपीएससी मे सफलता , मर्चन्ट नैवी में नौकरी के साथ की तैयारी , बनेंगे राजस्व अधिकारी…

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बिहार / बिक्रमगंज (अभिषेक गौतम ) :- इंसान कुछ करने की ठान ले तो सफलता जरूर मिलती है । बता दें कि बिहार सरकार द्वारा आयोजित बीपीएससी (BPSC) की परीक्षा में बिक्रमगंज निवासी धीरज प्रकाश ने 288 वां रैंक प्राप्त किया है । जिसके बाद उन्हे राजस्व अधिकारी का पद मिल सकता है ।  ज्ञात हो कि  धीरज प्रकाश बिक्रमगंज के जाने माने चिकित्सक डॉ जय प्रकाश सिंह और रीता देवी के पुत्र है । धीरज प्रकाश की प्रारम्भिक शिक्षा बिक्रमगंज के जीवन ज्योति स्कूल से हुई उसके बाद कुछ साल उन्होंने चिल्ड्रन हाई स्कूल में भी पढ़ाई किया । मैट्रिक और इन्टर की पढ़ाई हाई स्कूल बिक्रमगंज से हुई । जिसमे वर्ष 2002 में  मैट्रिक में 61.7% और 2004 में इंटर में 62 % अंक प्राप्त हुए । स्नातक मुंबई यूनिवर्सिटी से वर्ष 2009 में  किया जिसमे 71.1% अंक प्राप्त हुए । धीरज बताते है कि अभी मै मर्चेंट नेवी में सेकंड ऑफिसर के रूप में कार्यरत हूं इस दौरान देश विदेश में कार्य करने का मौका मिला लेकिन कहीं न कहीं एक चाह थी कि अपना प्रदेश बिहार जो पिछड़ा हुआ है इसके लिए कुछ जमीनी स्तर पर कार्य करू। और इसी का नतीजा है कि बीपीएससी एग्जाम देने का  सोचा। हालाकि वर्ष 2016 में धीरज  आईएएस (यूपीएससी) का मेंस परीक्षा भी दे चुके है । धीरज के अनुसार उनका फैमिली बैक्राउंड मिडल क्लास का रहा  है। पिताजी एक होमीओपैथी के डाक्टर है और माँ  हाउस वाइफ है ।

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2017 में प्रीति के हो गए थे धीरज , फिर भी जारी रही तैयारी …

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पत्नी प्रीति के साथ धीरज प्रकाश

बता दें कि वर्ष 2017  में धीरज की शादी प्रीति कुमारी से हुई। शादी के बाद पदाई करना थोड़ा मुश्किल था लेकिन वाइफ काफी सपोर्टिव थी। वो खुद एमबीए (MBA) और बीएड  (B.ED) क्वालिफाइ है। धीरज दुनिया की सबसे बडी कंपनी ब्रिटिश पेट्रोलियम ( British petroleum ) (England) और  Mitsui osk line (japan) में काम कर चुके है । वे बताते है कि तकरीबन 70 से ज्यादा देशों का विज़िट किया है लेकिन  अपनी मिट्टी के लिए काम करना मेरा सपना रहा जो कि आज साकार हुआ।

तैयारी के दौरान काफी मुश्किल परिस्थतियों का भी सामना किया। हेल्थ इश्यूज हुए , शिप  पर समय और इंटरनेट का अभाव रहता है।इसके अलावा पारिवारिक जिम्मेदारी भी पूरी करनी थी। साथ ही  बड़े भाई एक दिव्यांग हैं उनकी सेवा भी बहुत जरूरी थी। लेकिन इन सारे विषम परिस्थिति से लोहा लेते हुए जब भी समय मिला पढ़ाई जारी रखा। धीरज को ख़ाली समय में गिटार बजाना और अपने जर्मन शेफर्ड डॉग  के साथ टाइम बिताना बेहद पसंद है ।

बड़ी बात यह है कि शिप पर नौकरी करने के वजह से भारत में कभी 5 -6 महीने से ज्यादा रहना नहीं होता था । जिसके वजह से कोचिंग लेना संभव नहीं था । इसलिए पूरी तैयारी सेल्फ स्टडी पर ही निर्भर थी । इंटरव्यू के लिए पटना के एक संस्थान से मार्गदर्शन लिया साथ ही एनसीआरटी की किताबों को विशेष रूप से पढ़ा । ऑप्शनल पेपर के रुप में भूगोल (Geography ) और परीक्षा का माध्यम अंग्रेजी था। तैयारी के दौरान राष्ट्रीय स्तर की हिन्दी और अंग्रेजी अखबार भी नियमित रूप से पढ़ता रहा । साथ ही बता दें कि बीपीएससी मे सफलता मिलने के बाद भी धीरज रुकने वाले नहीं है । भविष्य में यूपीएससी की परीक्षा देना भी धीरज का सपना है जिससे उन्हें  समाज सेवा का बड़ा मंच मिल सके। अभी के स्टूडेंट्स से धीरज कहते है कि सिविल सर्विस मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं  है। कड़ी मेहनत और सही गाइडलाइन से इससे अवश्य पाया जा सकता है। अपनी सफलता का श्रेय धीरज अपने  माता पिता का आर्शीवाद और वाइफ का सहयोग मानते है ।

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