सिविल सर्जन साहब ने ठुकराया मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का निर्देश, संगिन मामले के आरोपी संगणक का नहीं हुआ स्थानांतरण…क्या सिर्फ लकीरें पीटते रह जायेंगे अधिकारी?

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सरायकेला:- साहब…..लोकतंत्र है, जनता सर्वोपरि होता है , कृपया जनता की आवाज को मत कुचलिए । नौकरशाहों के मनमानी करतुतों से चिखती-चिल्लाती खामोश होती जा रही है जनता की आवाज । एक ऐसा ही वाकया सरायकेला- खरसावां जिला में देखने को मिला , सिविल सर्जन साहब ने आरटीआई कार्यकर्ता श्री बबलू कालुंडिया के द्वारा जनहित में अपराध एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाएं गए आवाज को बेरहमी से कुचलते हुए दरकिनार कर दिया है। दर असल आरटीआई कार्यकर्ता श्री बबलू कालुंडिया ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक ही ऑफिस में वर्षों से जमें सिविल सर्जन कार्यालय के संगणक श्री कुलदीप घोषाल के आपराधिक चरित्र को लेकर एवं आने वाली लोकसभा चुनाव में उनकी संदिग्ध भूमिका को लेकर सवाल खडा करते हुए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी झारखंड से उनका स्थानांतरण किसी दूसरे जिले में करने की मांग किये थे । श्री कालुंडिया के शिकायत एवं जायज़ मांगों को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने स्वीकृति देते हुए श्री कुलदीप घोषाल का स्थानान्तरण किसी दूसरे जिले में करने सम्बन्धी निर्देश अपने पत्रांक -754 दिनांक-01.03.2024 के द्वारा उपायुक्त सरायकेला-खरसावां को दी गई है । उपायुक्त ने तुरंत श्री घोषाल का स्थानांतरण के लिए विभागीय अधिकारी सिविल सर्जन सरायकेला- खरसावां को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के निर्देशों को अक्षरशः उपलब्ध कराया गया। परन्तु 15 दिन बीत जाने के बाद भी सिविल सर्जन साहब के कान में जूं तक नहीं रेंगी है, चुनाव के परिप्रेक्ष्य में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के द्वारा दिये गये निर्देशों का खुलेआम धज्जियां उड़ती नजर आ रही है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के निर्देश के बावजूद आज तक सिविल सर्जन साहब ने एक भ्रष्टाचार के आरोपी संगणक को स्थानांतरण नहीं कर पाए हैं जिसके कारण क्षेत्र में चुनावी प्रशासन के अधिकारियों की आलोचनाएं हो रही है।आरटीआई कार्यकर्ता ने पहले ही सिविल सर्जन के नियत पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा है कि सिविल सर्जन साहब अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए संगिन मामले के आरोपी को संरक्षण दे रहे हैं । निराश हो कर उन्होंने यह भी कहा कि आचार संहिता लागू हो जाने के उपरांत सिविल सर्जन साहब आचार संहिता के नियमों का धौंस दिखाएंगे और आरोपी संगणक श्री कुलदीप घोषाल का स्थानान्तरण कदापि नहीं करेंगे ।

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उपर्युक्त तथ्यों से आम जनमानस के बिच चर्चाएं है हो रही है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को बचाना काफी कठिन होता जा रहा है, नौकरशाहों ने किस हद तक घून के कीड़े की भांति चाट कर व्यवस्था को खोखला कर रहें हैं।

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आगे देखना दिलचस्प होगा कि सिविल सर्जन साहब के लापरवाही रवैए पर उपायुक्त सरायकेला – खरसावां का क्या स्टैंड होगा, कुछ कार्रवाई होगी या जानबूझकर अधिकारी केवल लकीर पीटते रह जाएंगे !!

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