Chess: भारत में हुई थी शतरंज के खेल की शुरुआत
Desk ( Shafaque): शतरंज दो खिलाड़ियों के बीच खेला जाने वाला एक खेल है। खेल की शुरुआत 7वी शताब्दी के आसपास चतुरंग नाम से भारत में हुई थी, जो बाद में अरबी लोगो ने यूरोप में फैला दी। शतरंज का आधुनिक रूप यूरोप में 15वी शताब्दी के आखिर में बना। शतरंज एक रणनीति खेल है जिसमें कोई छिपी हुई जानकारी शामिल नहीं है और पासा या कार्ड का कोई इस्तेमाल नहीं है। ये एक शतरंज के बोर्ड पर खेला जाता है जिसमें 8×8 ग्रिड में 64 बराबर चौकोर होते हैं। शुरुआत में, हर खिलाड़ी सोलह गोटी को संभालते है: एक राजा, एक रानी, दो हाथी, दो ऊंट, दो घोड़े, और आठ सिपाही। सफेद पहले चलते है, उसके बाद काला। सामनेवाले के राजा को शह देने में राजा को फौरन हमला करना (“चेक” करना) शामिल है, जिससे उसके बचने का कोई रास्ता नहीं है। ऐसे भी कई तरीके हैं जिनसे कोई खेल ड्रॉ में खत्म हो सकता है।
19वी शताब्दी में संगठित शतरंज की तरक्की हुई। शतरंज प्रतियोगिता आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फीडे (अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ) द्वारा संभाला जाता है। पहले मान्यता लिए विश्व शतरंज चैंपियन, विल्हेम स्टीनिट्ज़ ने 1886 में अपने खिताब लिया; डिंग लिरेन चालू विश्व चैंपियन हैं। खेल के बनने के बाद से शतरंज सिद्धांत का एक बढ़ा इलाका विकसित हुआ है। शतरंज की रचना में कला के पहलू पाए जाते हैं, और शतरंज ने खुद पश्चिमी संस्कृति और कला पे असर किया है, और गणित, कंप्यूटर विज्ञान और मनोविज्ञान जैसे दूसरे फील्ड के साथ इसका रिश्ता है।शतरंज सबसे पुराने व लोकप्रिय पट (बोर्ड) में से एक है, जो दो प्रतिद्वंदीयों द्वारा एक चौकोर पट (बोर्ड) पर खेला जाता है, जिसपर विशेष रूप से बने दो अलग-अलग रंगों के सामन्यात: सफ़ेद व काले मोहरे होते हैं।
सफ़ेद पहले चलता है, जिसके बाद खिलाड़ी निर्धारित नियमों के अनुसार एक के बाद एक चालें चलते हैं। इसके बाद खिलाड़ी विपक्षी के प्रमुख मोहरें, राजा को शाह-मात (एक ऐसी अवस्था, जिसमें पराजय से बचना असंभव हो) देने का प्रयास कराते हैं। शतरंज 64 खानों के पट या शतरंजी पर खेला जाता है, जो रैंक (दर्जा) कहलाने वाली आठ अनुलंब पंक्तियों व फाइल (कतार) कहलाने वाली आठ आड़ी पंक्तियों में व्यवस्थित होता है। ये खाने दो रंगों, एक हल्का, जैसे सफ़ेद, मटमैला, पीला और दूसरा गहरा, जैसे काला, या हरा से एक के बाद दूसरे की स्थिति में बने होते हैं। पट्ट दो प्रतिस्पर्धियों के बीच इस प्रकार रखा जाता है कि प्रत्येक खिलाड़ी की ओर दाहिने हाथ के कोने पर हल्के रंग वाला खाना हो। सफ़ेद हमेशा पहले चलता है। इस प्रारंभिक कदम के बाद, खिलाड़ी बारी बारी से एक बार में केवल एक चाल चलते हैं (सिवाय जब “केस्लिंग” में दो टुकड़े चले जाते हैं)। चाल चल कर या तो एक खाली वर्ग में जाते हैं या एक विरोधी के मोहरे वाले स्थान पर कब्जा करते हैं और उसे खेल से हटा देते हैं।