चैत्र नवरात्रि 2025: कब से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि, कैसे अलग होती है ये शारदीय नवरात्रि से, जानें…



लोक आलोक सेंट्रल डेस्क:हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, और हर साल दो बार यह पर्व मनाया जाता है—चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। दोनों ही नवरात्रियां देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होती हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी होते हैं। चैत्र नवरात्रि 2025 कब से शुरू हो रही है और यह शारदीय नवरात्रि से कैसे अलग है, आइए विस्तार से जानते हैं।

चैत्र नवरात्रि 2025 कब से शुरू हो रही है?
चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत 30 मार्च से होगी और 7 अप्रैल को रामनवमी के दिन समाप्त होगी।
प्रतिपदा तिथि आरंभ: 29 मार्च 2025, रात्रि 11:52 बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 31 मार्च 2025, प्रातः 08:20 बजे तक
घटस्थापना मुहूर्त: 30 मार्च 2025, प्रातः 06:12 से 07:45 बजे तक
रामनवमी तिथि: 7 अप्रैल 2025
इस नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी—शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
कैसे अलग होती है चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि?
हालांकि दोनों ही नवरात्रियों में मां दुर्गा की पूजा की जाती है, लेकिन इनके बीच कुछ मुख्य अंतर होते हैं—
1. समय और मौसम:
चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु में मनाई जाती है, जो प्रकृति के नवजीवन का समय होता है।
शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु में आती है, जो फसल कटाई के समय से जुड़ी होती है।
2. धार्मिक महत्व:
चैत्र नवरात्रि को सृष्टि की उत्पत्ति और हिंदू नववर्ष की शुरुआत से जोड़ा जाता है।
शारदीय नवरात्रि को असुरों पर देवी दुर्गा की विजय के रूप में मनाया जाता है।
3. समापन पर्व:
चैत्र नवरात्रि का समापन रामनवमी पर होता है, जो भगवान श्रीराम के जन्म का दिन होता है।
शारदीय नवरात्रि का समापन दशहरा (विजयदशमी) पर होता है, जब भगवान राम ने रावण का वध किया था।
4. पूजा-पद्धति और महत्व:
चैत्र नवरात्रि में ज्यादातर घरों में घटस्थापना कर नौ दिनों तक व्रत और मां दुर्गा की पूजा की जाती है।
शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजा बड़े स्तर पर विशेष रूप से बंगाल, ओडिशा और अन्य पूर्वी राज्यों में धूमधाम से मनाई जाती है।
चैत्र नवरात्रि 2025 का शुभारंभ 30 मार्च से होगा और यह 7 अप्रैल को समाप्त होगी। यह नवरात्रि देवी दुर्गा की उपासना के साथ हिंदू नववर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक होती है। शारदीय नवरात्रि की तुलना में इसका महत्व अलग है, क्योंकि यह भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव रामनवमी से जुड़ी होती है, जबकि शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय को विशेष रूप से मनाया जाता है।
