CHAITRA NAVRATRI 2025 DAY 2: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा क्यों होती है? जानिए नवरात्रि के दूसरे दिन का महत्व…

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लोक आलोक सेंट्रल डेस्क:“संयम, तप और साधना का प्रतीक हैं मां ब्रह्मचारिणी, जिनकी उपासना से मनुष्य अटूट धैर्य और अद्वितीय शक्ति प्राप्त करता है।” नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह देवी तपस्या, आत्मसंयम और साधना की शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक घोर तपस्या की थी। उनकी कठोर साधना के कारण ही उन्हें ‘ब्रह्मचारिणी’ कहा गया। ऐसा माना जाता है कि उनकी उपासना करने से भक्तों को असीम धैर्य, संयम और आत्मबल प्राप्त होता है।

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मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और विशेषताएँ

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य है। उनके एक हाथ में अक्ष माला और दूसरे हाथ में कमंडल रहता है, जो भक्ति और तपस्या का प्रतीक है। देवी का यह स्वरूप हमें यह संदेश देता है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी संयम और भक्ति के मार्ग पर चलकर सफलता प्राप्त की जा सकती है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विशेष विधि से की जाती है। इस दिन प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लें और स्वच्छ स्थान पर मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पूजा के दौरान रोली, अक्षत, फूल, सफेद चंदन और दूध से बनी मिठाई अर्पित करें, क्योंकि मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। घी या कपूर से दीप जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां से संयम, धैर्य और शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करें।

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मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से क्या लाभ मिलता है?

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति के भीतर आत्मबल, धैर्य और सहनशीलता की वृद्धि होती है। जीवन में आने वाली कठिनाइयों को सहन करने की शक्ति प्राप्त होती है और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। ऐसी मान्यता है कि उनकी कृपा से साधक को मानसिक शांति और सफलता प्राप्त होती है।

“जो व्यक्ति कठिनाइयों में भी धैर्य और तप का पालन करता है, वही सच्चा साधक कहलाता है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से भक्तों को अटूट शक्ति और विजय प्राप्त होती है।”

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