JRD TATA BIRTH ANNIVERSARY: इनके सपनों ने भारत को बनाया महान, टाटा समूह के संस्थापक जेआरडी टाटा को जन्मदिन पर नमन और श्रद्धांजलि…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा, जिन्हें जे. आर. डी. टाटा के नाम से जाना जाता है, भारतीय उद्योगपति और टाटा समूह के प्रमुख संस्थापकों में से एक थे। उनका जन्म 29 जुलाई 1904 को पेरिस, फ्रांस में हुआ था। वे भारत के प्रतिष्ठित टाटा परिवार के सदस्य थे और उनके पिता रतनजी दादाभाई टाटा और माता सुज़ैन ब्रियर थीं।

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जे. आर. डी. टाटा का बचपन पेरिस और मुंबई के बीच बीता। उनकी प्रारंभिक शिक्षा फ्रांस और भारत दोनों में हुई। उन्होंने इंजीनियरिंग की शिक्षा कैंब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड से प्राप्त की। उनकी बचपन से ही विज्ञान और तकनीक के प्रति गहरी रुचि थी, जो उनके भविष्य के उद्योगिक कारनामों में झलकती है।

1925 में, जे. आर. डी. टाटा टाटा समूह में शामिल हुए और 1938 में वे टाटा संस के अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने अद्वितीय विकास किया और वे भारत के सबसे बड़े और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक बन गए। जे. आर. डी. टाटा ने अपने व्यापारिक कौशल और दूरदर्शिता से टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

जे. आर. डी. टाटा भारत में नागरिक उड्डयन के पितामह माने जाते हैं। 1932 में, उन्होंने टाटा एयरलाइंस की स्थापना की, जो बाद में एयर इंडिया बन गई। 1932 में ही, उन्होंने स्वयं मुंबई से कराची के बीच पहला वाणिज्यिक उड़ान भरी। उनके योगदान से भारतीय वायुसेना को भी नई दिशा मिली और भारत में हवाई यात्रा की शुरुआत हुई।

जे. आर. डी. टाटा ने सामाजिक सुधारों और श्रमिक कल्याण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने टाटा समूह के माध्यम से श्रमिकों के लिए बेहतर कार्य परिस्थितियों और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की शुरुआत की। उनकी दृष्टि ने टाटा समूह को केवल व्यवसायिक सफलता ही नहीं, बल्कि सामाजिक दायित्वों का भी प्रतीक बनाया।

See also  जमशेदपुर: एक्सएलआरआइ में "सही काम करना - रतन टाटा की विरासत" पर 32वां जेआरडी टाटा व्याख्यान

29 नवंबर 1993 को जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में जे. आर. डी. टाटा का निधन हो गया। उनके निधन के बाद भी उनकी विरासत जीवित है और टाटा समूह आज भी उनके सिद्धांतों और मूल्यों का पालन करता है। जे. आर. डी. टाटा की जीवन गाथा संघर्ष, समर्पण और उत्कृष्टता की मिसाल है।

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