क्या आप जानते है क्यों है आखिर 21 जुलाई इतिहास के पन्नो में खास ??…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:21 जुलाई 1947 को भारतीय संविधान सभा ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया। यह ध्वज हमारे स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है, और इसमें हमारी संस्कृति, एकता और अखंडता की गहरी भावनाएं निहित हैं।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है, जो तीन समान क्षैतिज पट्टियों से बना है। सबसे ऊपर केसरिया (भगवा) रंग है, जो देश की शक्ति और साहस का प्रतीक है। बीच में सफेद रंग है, जो सत्य और शांति का प्रतीक है। सबसे नीचे हरा रंग है, जो देश की समृद्धि और विकास का प्रतीक है। सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का अशोक चक्र है, जिसमें 24 तीलियाँ हैं। यह चक्र सम्राट अशोक के सारनाथ स्थित सिंह स्तंभ से लिया गया है, जो धर्म, सत्य और समय के चक्र को दर्शाता है।
राष्ट्रीय ध्वज के इस डिजाइन को पिंगली वेंकैया ने तैयार किया था। यह ध्वज केवल भारत की स्वतंत्रता का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमारे देशवासियों की एकता और अखंडता का भी प्रतीक है। ध्वज को फहराते समय हमें अपने देश के प्रति गर्व और सम्मान का अनुभव होता है।
जब यह ध्वज संविधान सभा में प्रस्तुत किया गया, तो सभी सदस्यों ने इसे सहर्ष स्वीकार किया। यह ध्वज भारत की आजादी की घोषणा से पहले ही हमारे स्वतंत्रता संग्राम का अभिन्न अंग बन चुका था। महात्मा गांधी ने भी तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने का समर्थन किया था।
तिरंगा न केवल एक ध्वज है, बल्कि यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष का प्रतीक भी है। 21 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा इसे अपनाना हमारे देश के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने हमारे राष्ट्र की पहचान को नई दिशा दी।