रेल संपत्ति की सुरक्षा करने में असफल हो रही है आरपीएफ
टाटानगर रेल समाचार: चक्रधरपुर रेल मंडल के टाटानगर आरपीएफ की बहाली रेल संपत्ति की सुरक्षा करने के उद्देश्य से ही की गई थी, लेकिन आज आरपीएफ अपनी जिम्मेवारी को पूरा करने में असफल साबित हो रही है. इसके उदाहरण समय-समय पर देखने को मिलते रहते हैं. रेल संपत्ति की चोरी धड़ल्ले से हो रही है, लेकिन आरपीएफ इस दिशा में एफआईआर तक नहीं करती है. जब किसी लोहा टाल में छापेमारी होती है और रेल संपत्ति की बरामदगी होती है तब आरपीएफ की ओर से आरपीयूपी एक्ट के तहत खानापूयर्ति के लिए मामला दर्ज किया जाता है.
रेल संपत्ति की चोरी में सफेदपोश की भी सहभागिता होती है. आज भी कई सफेदपोश आरपीएफ की आड़ में अवैध रूप से लोहा टाल चला रहे हैं. लोहा टाल खुलने की जानकारी स्थानीय पुलिस को भी होती है, लेकिन वह भी अनदेखा करके चलती है.
अवैध लोहा टाल की बात करें तो आदित्यपुर, मकदमपुर, जुगसलाई और बर्मामाइंस में खुले हुए हैं, लेकिन स्थानीय पुलिस इस दिशा में किसी तरह की पहल नहीं करती है. कुल मिलाकर उन्हें स्थानीय पुलिस का भी शह प्राप्त होता है.
आरपीएफ की नजर सिर्फ अवैध धंधे पर ही है. स्टेशन में कौन फेरी वाला अवैध रूप से काम कर रहा है. कौन अवैध रूप से चाय बेच रहा है. इन फेरी वाले के खिलाफ आरपीएफ की ओर से कार्रवाई नहीं की जाती है बल्कि उन्हें और शह दिया जाता है.
टाटानगर स्टेशन पर सबसे ज्यादा पावर जीआरपीएफ को ही दिया गया है, लेकिन आरपीएफ की ओर से उसे निकम्मा साबित कर दिया जाता है. पूरे स्टेशन में आरपीएफ की ही तूती बोलती है. जो काम आरपीएफ की है वह तो पूरी करती नहीं है और दूसरी तरफ दूसरे के कार्यों में अड़ंगा लगाती रहती है.