राजकोट अग्निकांड: गुजरात उच्च न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘हमें अब राज्य सरकार पर भरोसा नहीं है’…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- गुजरात उच्च न्यायालय ने राजकोट नगर निगम के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि यह पता चलने के बाद कि गेमिंग जोन, जहां आग लगने से 28 लोगों की मौत हुई थी, बिना किसी आवश्यक अनुमति के चल रहा था, उसका राज्य मशीनरी पर से भरोसा उठ गया है।
गुजरात उच्च न्यायालय ने गेमिंग जोन में बड़ी सुरक्षा चूक सामने आने के बाद सोमवार को राजकोट नगर निगम (आरएमसी) को कड़ी फटकार लगाई, जहां भीषण आग लगने से नौ बच्चों सहित 28 लोगों की जान चली गई थी।
न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और न्यायमूर्ति देवन देसाई की विशेष पीठ ने राज्य मशीनरी पर भरोसा न होने की बात कहते हुए सवाल किया कि पिछले न्यायालय के आदेशों के बावजूद ऐसी त्रासदी कैसे हो सकती है। गेमिंग जोन संचालकों ने कथित तौर पर राजकोट नगर निगम से अनिवार्य अनुमति और लाइसेंस नहीं लिए थे।
न्यायालय ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा, “यह सब ढाई साल से चल रहा था, तो क्या आप सो गए थे? या आप अंधे हो गए थे।”
जब आरएमसी ने अदालत को बताया कि गेमिंग जोन ने अनुमति नहीं मांगी है, तो पीठ ने कहा कि यह उनकी भी जिम्मेदारी है। पीठ ने कहा, “हमारे आदेश के चार साल बाद भी अगर अग्नि सुरक्षा के मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया, तो आरएमसी जिम्मेदार कैसे नहीं है?”
गेमिंग जोन में अधिकारियों की तस्वीरें सामने आने के बाद अदालत ने राजकोट नगर निगम को भी आड़े हाथों लिया। पीठ ने पूछा, “ये अधिकारी वहां क्या कर रहे थे? क्या वे खेलने गए थे?”
गुजरात उच्च न्यायालय ने रविवार को टीआरपी गेम जोन में लगी आग का स्वत: संज्ञान लिया और इसे “मानव निर्मित आपदा” करार दिया, जहां सक्षम अधिकारियों से पर्याप्त मंजूरी न मिलने के कारण निर्दोष लोगों की जान चली गई।