उसे भेजना था डोली में, चली गई अर्थी में’ : पुणे हादसे में मृत आईटी पेशेवरों की माताओं के नहीं रुक रहे आंसू…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- पुणे के पोर्शे हादसे ने मध्य प्रदेश के दो घरों में एक ऐसा शून्य पैदा कर दिया है जिसे कोई भी कभी नहीं भर सकता. इन दो परिवारों के लिए “पोर्शे केस” अंतहीन दर्द का प्रतीक है.
नाबालिगों को वाहन चलाने की इजाजत क्यों नहीं दी जानी चाहिए? कुछ लोगों के मुताबिक पुणे का पोर्शे हादसा इसके दुखद नतीजे का जीवंत उदाहरण है. कई लोग इस केस को देश की न्याय प्रणाली की परीक्षा के रूप में देख रहे हैं. हालांकि इस हादसे ने मध्य प्रदेश में दो घरों में एक ऐसा शून्य पैदा कर दिया है जिसे कोई भी कभी नहीं भर सकता. इन दो परिवारों के लिए “पोर्श केस” अंतहीन दर्द का प्रतीक है.
अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्ठा दोनों ही 24 साल के थे और आईटी इंजीनियर थे. वे भविष्य के कई सपने संजोकर अपने छोटे शहरों, अपने घरों और परिवारों से दूर पुणे में रह रहे थे. घटना वाली रात में वे अपने दोस्तों से मिलने के लिए निकले थे और बाइक पर लौट रहे थे. इसी दौरान नशे में धुत एक नाबालिग लड़के ने अपनी पोर्शे हाई-एंड कार से उन्हें पीछे से टक्कर मार दी. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक टक्कर से अश्विनी 20 फीट ऊपर उछल गई और जमीन पर आ गिरी. बाइक चला रहा अनीश टक्कर से उछलकर एक खड़ी कार से जा टकराया. इस हादसे में दोनों की मौके पर ही मौत हो गई.
इस हादसे के बाद जबलपुर में रहने वालीं अश्विनी की मां ममता सदमे में हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, “हमें उसकी शादी के बाद उसे डोली में (दूल्हे के घर) विदा करना था, लेकिन हमें इसके बजाय उसकी अर्थी ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.”
नाबालिग लड़के और उसके माता-पिता को कड़ी सजा मिले
उन्होंने कहा कि, “हम अश्विनी के लिए न्याय चाहते हैं. नाबालिग लड़के और उसके माता-पिता को कड़ी सजा मिलनी चाहिए. उन्होंने उसे ठीक से नहीं पाला है. उन्हें उसे कार नहीं देनी चाहिए थी.” उन्होंने हादसे के लिए जिम्मेदार कार चलाने वाले 17 साल के लड़के को लेकर कहा कि, किशोर न्याय बोर्ड ने उसे एक ऑब्जर्वेशन होम में भेजने का निर्णय लिया. उस पर एक वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाएगा या नहीं.
पुलिस के अनुसार जब नाबालिग पोर्शे को कथित तौर पर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चला रहा था तब वह भारी नशे में था. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने पहले लड़के को जिन शर्तों पर जमानत दी थी उन्हें बहुत कमजोर माना जाता है. शर्तों में उससे “सड़क दुर्घटना और उनके समाधान” पर 300 शब्दों का निबंध लिखने, 15 दिनों तक यातायात के नियमों का अध्ययन करने और शराब पीने की आदत को लेकर मनोरोग चिकित्सा सलाह लेने के लिए कहा गया था.
“यह क्या मजाक है? वह क्या निबंध लिखेगा?”
अश्विनी कोष्टा के मां ने कहा, “यह क्या मजाक है? वह क्या निबंध लिखेगा? यह एक मजाक चल रहा है.” उन्होंने अश्विनी को “बहुत प्रतिभाशाली लड़की” बताया. उन्होंने रोते हुए कहा कि, “वह लाखों में एक थी. उसके बहुत सारे सपने थे.”
अश्विनी के भाई संप्रित ने एनडीटीवी को बताया कि वह “स्मार्ट” और “इंडिपेंडेंट” थी. उन्होंने कहा, “उसने हर फील्ड में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. उसकी अगले महीने हमारे पिता के जन्मदिन पर आने की योजना थी. उसने उनके रिटायरमेंट पर पार्टी का भी प्लान बनाया था.”
जबलपुर से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर एक और मां है, पुणे हादसे ने जिनकी दुनिया उलट दी है. उमरिया जिले के बिरसिंहपुर पाली में रहने वालीं अनीश अवधिया की मां सविता अवधिया एनडीटीवी से बात करते हुए अपने आंसू नहीं रोक सकीं. उन्होंने कहा कि, “उसने मेरे बेटे को मार डाला. अब मैं अपने बेटे से कभी नहीं मिल पाऊंगा. यह लड़के की गलती है, आप इसे हत्या कह सकते हैं. अगर उसने इतनी बड़ी गलती नहीं की होती, तो कोई भी नहीं मरता. उसके परिवार के सदस्यों ने ध्यान दिया होता तो आज मेरा बेटा जीवित होता.”
“पैसे वाले लोग अपने बेटे को बचा सकते हैं, लेकिन मेरा बेटा मर गया”
सविता अवधिया ने कहा कि नाबालिग ड्राइवर को कड़ी सजा मिलनी चाहिए. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से उन्हें न्याय दिलाने में मदद करने की अपील की. उन्होंने कहा, “उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए. वे उसे बचाने की बहुत कोशिश कर रहे हैं. वे पैसे वाले लोग हैं और सोचते हैं कि वे अपने बेटे को बचा सकते हैं, लेकिन मेरा बेटा मर गया.”
सविता अवधिया ने अपने बेटे को याद करते हुए कहा कि, ”अनीश एमबीए करना चाहता था. वह बहुत खुशमिजाज था, वह हर किसी को अपना बना लेता था. इस महीने की शुरुआत में वह एक सालगिरह के लिए घर आया था. वह जल्द ही फिर से आने वाला था. उसने मुझे बताया था कि वह मेरे लिए एक गिफ्ट ला रहा है.”
अनीश के पिता ओम अवधिया ने कहा कि वह एक जिम्मेदार बेटा था जिसने पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाईं. उसका छोटा भाई भी उसके साथ पुणे में रहता था और वह उसकी देखभाल करता था.