मौत का हाइवे! भारत की एक ऐसी रहस्यमय जगह, जहां पहुंचते ही अपने आप घूम जाती है घडी की सुई बदल जाती है तारीख…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:-Taimara Valley Jharkhand: क्या सही में झारखंड के तैमारा घाटी में समय बदल जाता है? जी हां, इस वैली को लेकर ऐसा कहते हैं कि यहां आने वाले लोगों के मोबाइल में समय और तारीख दोनों बदल जाती है। जानिए ऐसा क्या है इस घाटी में।
अगर हम आपसे कहें कि सफर करते-करते अचानक से 2022 आ जाए या फिर 2024 आ जाए और घडी की सुई 10 के बजाए 12 बजाने लगे, तब आप क्या करेंगे? ये सुनकर आप सोच रहे होंगे ये तो किसी मूवी के सीन जैसा लग रहा है, लेकिन बता दें, ये एकदम सच है। जी हां, रांची से जमशेदपुर जाने वाले रास्ते पर एक ऐसा खास स्थान है, जहां घडी का समय बदल जाता है और मोबाइल में भी साल कुछ और दिखाने लगता है।
हम बात कर रहे हैं, NH 33 हाईवे की जो रांची को जमशेदपुर से तो जोड़ती ही है, लेकिन अपने मौत के हाइवे के लिए भी जानी जाती है। खासकर हाइवे पर पड़ने वाली तैमारा घाटी बेहद खतरनाक मानी जाती है। जहां इन कारणों की वजह से कई दुर्घटनाएं हुई हैं, और कितनों की जान ने घाटी को निगल लिया है।
झारखंड की तैमारा घाटी जाने के लिए आपको रांची जमशेदपुर हाइवे यानी एनएच-33 पर जाना होगा। राजधानी रांची से ये जगह करीबन 30 किमी की दूरी पर पड़ती है। अब ये सड़क फोरलेन में बदल चुकी है, सड़क के दोनों ओर आपको ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और घाटी देखने को मिलेगी। बरसात में तो यहां का माहौल कुछ और ही हो जाता है। हर जगह एकदम रिफ्रेशिंग फील होता है। यहां आपको चहुंओर हरियाली भी देखने को मिलेगी। कई बार तो लोग रास्ते में रुककर फोटोज वगैरह भी खींचते हैं। सड़क पर करीबन एक किमी के अंदर आप इस घाटी का पूरा मजा उठा सकते हैं।
बात करें इस खतरनाक सड़क की, तो यहां कई हादसे हो चुके हैं, और लोगों का मानना है कि यहां सफेद कपड़े में एक औरत घूमती है। जब वाहन का ड्राइवर औरत को बचाने की कोशिश करता है, तो वाहन का एक्सीडेंट हो जाता है। अगर आप इस जगह पर आएंगे तो कई गाड़ियों का एक्सीडेंट हुआ नजारा भी देख सकते हैं। यही नहीं, इन चीजों से बचने के लिए यहां पहले एक मंदिर भी बनवाया गया ताकि घटना और दुर्घटना को रोका जा सके। पुजारी का कहना है कि गांव में पूजा-पाठ में गड़बड़ी होने से माता खुद स्त्री का रूप ले लेती है और सड़क पर आ जाती है। बचाने के चक्कर में गाड़ियों का एक्सीडेंट हो जाता है।
यहां आने वाले लोगों का कहना है कि मोबाइल फोन का समय और तारीख दोनों खुद-ब-खुद बदल जाते हैं। कभी समय एक साल पीछे चला जाता है, तो कभी एक साल आगे और उनका कहना है कि गाड़ी की गति भी कुछ और ही हो जाती है। लेकिन उनका ये भी कहना है कि यहां से आगे बढ़ते ही समय और तारीख सब अपने वक्त पर लौट आते हैं।
एक स्कूल की टीचर का कहना है कि यहां बायोमेट्रिक अटेंडेंस बनाना असंभव है, क्योंकि जब-जब वो बायोमेट्रिक अटेंडेंस बनाते हैं, तब-तब अटेंडेंस 2023 का बन जाता है या फिर 2023 का बन जाता है। इस वजह से वो सारी अटेंडेंस रजिस्टर पर ही लगाते हैं। उनका ये भी कहना है कि स्कूलों में मोबाइल का समय बिल्कुल बदल जाता है, कोरोना में लॉकडाउन के दौरान यहां समय 2023 दिखा रहा था। कई बार तो मोबाइल काम भी करना बंद कर देता है, मोबाइल में नेट से होने वाले फंक्शन चलते भी नहीं हैं।
गांव में कई लोग ऐसे हैं, जो नेटवर्क की प्रॉब्लम, समय बदलने की घटनाओं को सच बताते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे हैं, जो इसे मात्र अफवाह करार देते हैं। उनका कहना है कि अगर ये सच होता, तो ये जगह आज टूरिस्ट प्लेस बनी होती। हालांकि जो लोग इसे मानते हैं, उनका कहना है कि इसका कारण कर्क रेखा हो सकती है, जो इस जगह से गुजरती है।

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