“स्त्री चरित्रं ,पुरुषस्य भाग्यम देवो न जानाति,कुतो मनुष्यः” श्लोक हुआ चरितार्थ, घास काटने गया युवक लौटते ही बना करोड़पति…

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पश्चिम बंगाल :-  संस्कृत में एक श्लोक है कि स्त्री चरित्रं ,पुरुषस्य भाग्यम देवो न जानाति,कुतो मनुष्यः||-अर्थात -स्त्री का चरित्र और पुरुष का भाग्य देवता भी नहीं जानते,मनुष्य कैसे जान सकता है ? बिल्कुल कुछ ऐसा ही मामला आया है पश्चिम बंगाल से । यहां वर्दवान जिले के खुरतुबापुर गांव में एक मजदूर बकरियों के लिए घास काटने गया था। जब वो घास लेकर लौटा तो उसे पता चला अब वो गरीब मजदूर नहीं है। बल्कि अब वो करोड़पति बन गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस मजदूर का नाम भास्कर माजी है। दरअसल भास्कर माजी ने बकरियों के लिए घास काटने जाने से पहले लॉटरी का एक टिकट खरीदा था। उस समय उसके पास पैसे नहीं थे। लेकिन उसे लॉटरी का टिकट खरीदने की इच्छा हुई। इसके लिए उसने 40 रुपये उधार लिये थे। अब उसके पड़ोस और उसके आसपास के लोग उसे बधाई दे रहे हैं और गांव में जश्न मनाने की तैयारी हो रही है।

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जानकारी के मुताबिक इस बाबत मजदूर भास्कर माजी ने बताया कि वो रोज की तरह नपारा बस स्टैंड के पास अपनी बकरियों के लिए घास काटने आया था। वहां लॉटरी का टिकट बिकता देख भास्कर की भी इच्छा लॉटरी का खरीदने की हुई। लेकिन उस वक्त उसकी जेब में एक रुपया भी नहीं था। लॉटरी टिकट खऱीदने का इरादा वो टाल नहीं सका और अपने एक परिचित से 40 रुपये उधार लेकर टिकट खऱीद लिया। टिकट खरीद कर वो बकरियों के लिए घास काटने चला गया। कुछ घंटे बाद जब वो घर लौटा तो उसे पता चला कि लॉटरी टिकट का ड्रा हो चुका है। औऱ उसने एक करोड़ का इनाम जीत लिया है। भास्कर माजी को पहली बार में इस बात पर यकीन नहीं हुआ। इस बात को मानने में उसे 10-20 मिनट लग गये। भास्कर माजी से पूछे जाने पर उसने कहा कि इन रुपयों की उसे सख्त जरूरत थी। उसका घर मिट्टी का है, जो बरसात में टपकता है। इसके अलावा उसने बेटी की शादी के लिए कर्ज ले रखा था, वो इस कर्ज को चुकायेगा और घर बनायेगा।

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