किसी कोच का फ्लश काम नहीं कर रहा तो किसी का कुंडी,आजादी के दशकों बाद भी नहीं बदली बिहार की ट्रेनों की सूरत, मेंटेनेंस के नाम पर मेन स्टेशनों पर होती है सिर्फ खानापूर्ति
जमशेदपुर :- देश के आजाद हुये दशकों बीत गये बावजूद बिहार जानेवाली ट्रेनों की सूरत आज तक नहीं बदली है. इसका अहसास ट्रेन पर यात्रा करते ही यात्रियों को हो जाता है. किसी कोच का फ्लश काम नहीं करता है तो किसी का कुंडी ही उपयोग के लायक नहीं है. किसी नल में पानी नहीं आ रहा है तो किसी कोच में पानी निकासी की व्यवस्था ही ठीक नहीं है. ऐसी भी नहीं है कि ट्रेन के यात्री अपनी शिकायतों को संबंधित स्टेशनों पर नहीं रखते हैं. उनकी शिकायतें भी सुनी जाती है, लेकिन नतिजा कुछ भी नहीं निकलता है. ट्रेन के खुलनेवाली स्टेशन और गंतव्य पर पहुंचने वाली स्टेशनों पर ट्रेन की मेंटेनेंस के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करके ही छोड़ दिया जाता है. बिहार जानेवाले यात्रियों की हमेशा से शिकायत रहती है कि उन्हें रेलवे की ओर से उपेक्षित किया जाता है. बिहार की ट्रेनों की हालत कब सुधरेगी. यात्री जानना चाहते हैं.
जेनरल कोच की सुधि लेना भी मुनासिब नहीं समझते वरीय अधिकारी.
बिहार जानेवाली ट्रेन के जेनरल कोच की बात करें तो इसकी तो रेल के वरीय अधिकारी सुधि लेना भी उचित नहीं समझते हैं. इस कोच के यात्रियों को तो यात्रा करना ही दूभर होता है. अगर फ्लश की जांच पहले नहीं की तो वे बाद में यात्री बड़ी परेशानी में पड़ सकते हैं.
कोच के भीतर प्रवेश करना ही है दूभर, शौचालय के भीतर पानी निकासी की सही व्यवस्था नहीं
जेनरल कोच की बात करें तो इसके भीतर तो यात्रियों के लिये प्रवेश करना ही दूभर होता है. इस कोच में अधिकांश सुविधायें नहीं है. शौचालय के भीतर गये तो फ्लश काम नहीं करता है. इसके अलावा भीतर का नल भी सही हालत में नहीं होता है. किसी-किसी का तो टोटी तक गायब होता है. बाहर हाथ-मुंह धोने के लिये बेसीन तो लगा दिया गया है, लेकिन उस नल से पानी नहीं निकलता है. बिहार के ट्रेनों की बात करें तो शौचालय की सुविधा तो नाम के लिये लगा दिया गया है, लेकिन उसके भीतर पानी की निकासी की सही तरीके से व्यवस्था नहीं की गयी है. ऐसे में शौच के समय यात्रियों को भारी परेशानी होती है. शौचालय के भीतर थोड़ी देर के लिये भी रह पाने में भारी परेशानी होती है.
बिहार की सभी ट्रेनों की है एक जैसी ही स्थिति
टाटा-दानापुर-टाटा सुपर फास्ट एक्सप्रेस, दुर्ग-टाटा-राजेंद्रनगर साउथ बिहार एक्सप्रेस और टाटा-थावे-टाटा एक्सप्रेस ट्रेन की स्थिति बिल्कुल ही एक जैसी ही है. सुपर फास्ट ट्रेन की बात करें तो इसकी मेंटेनेंस टाटानगर और दानापुर स्टेशन पर की जाती है. इसी तरह से दुर्ग-टाटा-राजेंद्रनगर साउथ बिहार एक्सप्रेस ट्रेन का जिम्मा दुर्ग और राजेंद्रनगर स्टेशन पर है. बावजूद ट्रेन का सही तरीके से मेंटेनेंस नहीं किया जाता है.