जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया

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जमशेदपुर (संवाददाता ):-माननीय कुलपति प्रो (डॉ) अंजिला गुप्ता की अध्यक्षता में स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई गई। राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले इस कार्यक्रम में विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी से आए बिहार और झारखंड प्रांत के संगठक मुकेश कीर मुख्य अतिथि सह मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन से हुआ। इस दौरान संगीत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सनातन दीप ने सरस्वती वंदना की सुंदर प्रस्तुति की।अपने अध्यक्षीय भाषण में माननीय कुलपति प्रो० (डॉ०) अंजिला गुप्ता ने सर्वप्रथम इस अवसर पर सभी को राष्ट्रीय युवा दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि युवा दिवस हमारी युवा छात्राओं के साथ मनाना इस दिन की सार्थकता को दर्शाता है। स्वामी विवेकानन्द विभिन्न विषयों के ज्ञाता, तेजस्वी व्यक्तित्व एवं एक योद्धा सन्यासी के रुप में 39 वर्षो तक जीवित रहे । युवावस्था में ही ये पंचतत्व में लीन हो गए । स्वामी जी ने कहा था कि सौ ऐसे तेजस्वी मेरे हाथ में दे दो तो इस देश का कायाकल्प हो जाएगा । इन्होंने छात्राओं को विवेकानन्द जी की जीवनी पढ़ने को कहा ताकि ऐसी युवा पीढ़ी तैयार हो जो राष्ट्र निर्माता बनें। अपने वक्तव्य में आज की शिक्षा नीति के संदर्भ में कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत छात्राओं को विभिन्न विषयों को पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा । भविष्य में यहीं छात्राएँ नीति निर्माता बनने जा रहीं हैं। मौलिक चिन्तन की ओर भी इन्हें अग्रसर होना होगा । उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वामी विवेकानन्द आज भी हमारे लिए प्रासंगिक है।
मुख्य वक्ता श्री मुकेश कीर ने स्वामी विवेकानंद से जुड़ी कई अहम तथ्यों को साझा किया । उन्होंने सभी को पूरे जीवन भयमुक्त रहने को कहा क्योंकि हमारे अन्दर दिव्य शक्ति विद्यमान है। यह शक्ति हमें किसी भी कार्य को करने के लिए बल देती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा में एकाग्रता का होना आवश्यक है। चरित्र निर्माणकारी शिक्षा होनी चाहिए । दर्शन और योग के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त करें यह लक्ष्य हो । धार्मिक ज्ञान के साथ साथ शारीरिक एवं मानसिक रूप से भी स्वस्थ्य रहना है। तभी जीवन सफल और सार्थक बनेगा। स्वामी विवेकानन्द सकारात्मक ऊर्जा से भरे चिरयुवा थे ।
धन्यवाद ज्ञापन देते हुए डॉ अविनाश कुमार सिंह, माननीय कुलसचिव ने विवेकानंद के नाम के वास्तविक अर्थ को बताने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि विवेक के साथ सहजता का सामंजस्य रखना चाहिए जिससे आनंद की अनुभूति हो सकती है।कार्यक्रम में डीएसडब्ल्यू डॉ किश्वर आरा, प्रॉक्टर डॉ सुधीर साहू, सीवीसी डॉ अन्नपूर्णा झा, कई विभागों के डीन, विभागाध्यक्ष, एमएड, बीएड और अन्य विषयों के शिक्षकगण, कई सामाजिक सांस्कृतिक कार्यकर्ता एवं बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित थी।

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