जमशेदपुर के वरिष्ठ साहित्यकार जयनंदन को मिलेगा वर्ष 2022 के श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान , 31 जनवरी 2023 को मिलेगा सम्मान
जमशेदपुर:- जमशेदपुर के वरिष्ठ साहित्यकार जयनंदन को वर्ष 2022 के श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान के लिए सम्मान चयन समिति ने सर्वसम्मति से चुनने का निर्णय लिया है। समिति द्वारा नाम का चयन जयनंदन की साहित्य-साधना, वैचारिक समर्पण और साहित्यिक अवदान को ध्यान में रखकर किया गया है।
ज्ञात हो कि इफको निदेशक मंडल के अनुमोदन से वर्ष 2011 में शुरू किए गए इस सम्मान से अब तक स्व. विद्यासागर नठियाल, श्रेकर जोशी, संजीव , मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल, कमलाकांत त्रिपाठी, रामदेव धुरंधर, रामधारी सिंह, दिवाकर, महेश कटारे, रणेन्द्र एवं शिवमूर्ति को सम्मानित किया गया है। इस सम्मान के अंतर्गत सम्मानित साहित्यकार को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र और ग्यारह लाख रुपये का चेक प्रदान किया जाता है। इसके सदस्य मधुसूदन आनंद कथाकार- संपादक-जयप्रकाश कर्दम कथाकार चिंतक, रवीन्द्र त्रिपाठी लेखक फिल्म समीक्षक, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह आलोचक, डॉ. दिनेश कुमार शुक्ल कवि एवं हिन्दी सलाहकार, इफको ,संयोजक: नलिन विकास वरिष्ठ प्रबंधक (हिन्दी), इफको भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रकोष्ठ शामिल है।
श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान समारोह 31 जनवरी, 2023 को आयोजित किया जाएगा।
साहित्यकार / कथाकार जयनंदन मूल रूप से नवादा (बिहार) के मिलकी गाँव से है। जो टाटा स्टील से सेवानिवृत्त होने के पश्चात जमशेदपुर में निवास करते हुए अपनी साहित्यिक गतिविधियों के माध्यम से हिंदी साहित्य संपदा के भंडार को समृद्ध करने में संलग्न हैं।
मुख्य रूप से प्रकाशित कृतियों में उपन्यास- ‘श्रम एव जयते, 'ऐसी नगरिया में केहि विधि रहना
, ‘सल्तनत को सुनो गाँववालो शामिल है। कहानी संग्रह- ‘सन्नाटा भंग,'विश्व बाजार का ऊँट
,’एक अकेले गान्ही जी, 'कस्तूरी पहचानो वत्स
,’दाल नहीं गलेगी अब, 'घर फूंक तमाशा
, ‘सूखते स्रोत, 'गुहार
गाँव की सिसकियाँ, भितरघात, मेरी प्रिय कथाएँ, मेरी प्रिय कहानियाँ, सेराज बैंड बाजा। नाटक- नेपथ्य का मदारी, हमला तथा हुक्मउदूली। वैचारिक लेखों का संग्रह- मंथन के चौराहे , जीवनी- राष्ट्र निर्माण के तीन टाटा सपूत चर्चित है।
देश की प्राय: सभी श्रेष्ठ और चर्चित पत्रिकाओं में लगभग सौ कहानियाँ प्रकाशित हो चुकी है। कुछ कहानियाँ का फ्रेंच, स्पैनिश, अंग्रेजी, जर्मन, तेलुगु, मलयालम, गुजराती, उर्दू, नेपाली आदि भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है। कुछ कहानियों के टीवी रूपांतरण टेलीविजन के विभिन्न चैनलों पर प्रसारित भी हुए है। नाटकों का आकाशवाणी से प्रसारण और विभिन्न संस्थाओं द्वारा विभिन्न शहरों में मंचन भी किया जा चुका है।
इस सम्मान से पहले 1984 में डॉ शिवकुमार नारायण स्मृति पुरस्कार, 1990 में बिहार सरकार राजभाषा विभाग द्वारा नवलेखन पुरस्कार, 1992 में भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा युवा पीढ़ी प्रकाशन योजना के तहत सर्वश्रेष्ठ चयन के आधार पर उपन्यास ‘श्रम एव जयते’ का चयन और प्रकाशन, कृष्ण प्रताप स्मृति कहानी प्रतियोगिता (वर्तमान साहित्य), कथा भाषा प्रतियोगिता तथा कादम्बिनी अ. भा. कहानी प्रतियोगिता में कई बार कई कहानियाँ पुरस्कृत की जा चुकी है। 1993 में सिंहभूम जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन सम्मान, 1995 में जगतबंधु सेवा सदन पुस्तकालय सम्मान, 2001 में पूर्णिया पाठक मंच सम्मान, 2002 में 21वां राधाकृष्ण पुरस्कार। (रांची एक्सप्रेस द्वारा), 2005 का विजय वर्मा कथा सम्मान (मुंबई), 2009 में बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान (आरा), 2010 में झारखंड साहित्य सेवी सम्मान (झारखंड सरकार, राँची), 2010 में स्वदेश स्मृति सम्मान (तुलसी भवन, जमशेदपुर), 2013 में आनंद सागर स्मृति कथाक्रम सम्मान (लखनऊ) भी मिल चुका है। इस सम्मान की घोषणा होने के बाद साहित्य जगत में जयनंदन के परिचितों में खुशी देखी जा रही है। और लोग उन्हें बधाई भी दी रहे है।