WORLD PHOTOGRAPHY DAY 2022: तस्वीरे बोलती है… जानें कब से हुई थी वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाने की शुरुवात, फोटोग्राफी के शौकीन है जमशेदपुर के लोग
WORLD PHOTOGRAPHY DAY 2022: कहते है की तस्वीर हज़ार शब्दों से अधिक बोल जाती है। वो तस्वीर ही होती है जिसे देख कर हम अपने जीवन के खूबसूरत पलों को वापस से जी पाते है। फोटोग्राफ हमारे ज़िंदिगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है, कुछ भी हो हम कही भी जाए, कुछ भी खाए, किसी पर्व-त्योहार में या कोई भी फंगक्शन में हम फ़ोटोज़ लेना नहीं भूलते है। आज कल फोटोग्राफी में लोग काफी ज्यादा रुचि ले रहे है। एक वक्त था जब लोग इसे केवल अपने शौक के लिया किया करते थे पर वक्त के साथ-साथ अब ये एक प्रोफेशन भी बन चुका है।
19 अगस्त को प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता हैं। अगर इस दिन के इतिहास की बात करें तो सबसे पहले सन 1839 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुईस जेकस तथा मेंडे डाग्युरे ने फोटो तत्व को खोजने का दावा किया था। ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम हेनरी फॉक्सटेल बोट ने नेगेटिव-पॉजीटिव प्रोसेस ढूँढ लिया था। 1834 में टेल बॉट ने लाइट सेंसेटिव पेपर का आविष्कार किया जिससे खींचे चित्र को स्थायी रूप में रखने की सुविधा प्राप्त हो गयी थी। सरकार ने यह प्रोसेस रिपोर्ट देखकर 19 अगस्त 1939 को उसे आम लोगों को समर्पित कर दिया। तब से 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है।
हर साल की तरह इस साल भी विश्व फोटोग्राफी दिवस के लिए एक थीम रखा गया है। वर्ष 2022 की थीम Pandemic lockdown through the lens है। इसमे फोटोग्राफर्स को अपने कैमरा मे कैद लॉकडाउन के नज़ारे को सांझा करना है।
आखिर फोटोग्राफी क्यों जरूरी है?
तो इसका जवाब काफी आसान है की कोई खास पहचान या पल हमेशा जीवंत रहे इसके लिए उसका साक्ष्य रहना जरूरी है। जब कैमरे का अविष्कार हुआ तब चीजें और आसान हो गईं। अब किसी विशेष दिन और घटना को संजो कर रखना आसान है। तस्वीरें किसी भी कहानी या लोगों के हालात को बयां करने में काफी कारगर साबित होती हैं। सिर्फ एक तस्वीर आपको हजारों किताबों के शब्दों से जोड़ देती है। एक तस्वीर देखते हैं और आपके सामने अनगिनत कहानियां घूमने लगती है और एक तस्वीर में इतनी ताकत है कि ये लोगों के दिलों में चिंगारियां भरकर सैकड़ों क्रांतिओं की नींव रख देती है।
फोटोग्राफी के शौकीन हैं हमारे शहर के लोग…
बहुत से अलग अलग आर्ट फॉर्म की तरह फोटोग्राफी भी एक फॉर्म है। एक फोटोग्राफर जब एक फोटो क्लिक करता है तो वो महज एक फोटो नही होता वह लम्हों को , समय को और सबसे ज्यादा जरूरी भावनाओं को कैप्चर करता है। साथ ही एक फोटोग्राफर अपनी तस्वीरों के जरिए खुद को भी एक्सप्रेस करता है। मैंने 9 साल की उम्र में पहली बार एक फिल्म कैमरा से फोटो खींचा था और तब से मुझे कैमरा से प्यार है। जब भी मैं कोई फोटो क्लिक करता हूं सबसे ज्यादा ध्यान मैं एक्सप्रेशन पे देता हूं एक्सप्रेशन ही फोटो को जीवित कर देती है। वैसे में तो फोटोग्राफी में तो कई सारे जोनर है लेकिन मुझे वाइल्डलाइफ, नेचर, स्पोर्ट्स और पोट्रेट्स ज्यादा पसंद है।
सुमित कुमार के द्वारा खींची गई तस्वीरें :-
आजकल की डिजिटल दौर में कैमरा हर जगह है चाहे वह डिजिटल मार्केटिंग हो या ऑफलाइन मार्केटिंग हर जगह कैमरा यूज़ होता है और बिजनेस में अच्छा ग्रोथ लेकर आ रहा है जो कि हमारे जमशेदपुर में भी काफी देखने को मिल रहा है।
मुझे फोटोग्राफी को लेकर खास लगाव है, वैसे टॉपिक तो कई सारे हैं पर मेरा पसंदीदा टॉपिक नेचर यानी की प्रकृति है। क्योंकि प्रकृति के अंदर अपार क्षमता है ,जो कि हमें हमेशा सरप्राइज करते रहती है। सुबह से शाम तक जो प्रकृति में हलचल होती है फिर चाहे वो एक छोटी सी चिड़िया हो, छोटी तितली हो या फिर एक छोटा सा कीड़ा ही क्यों ना हो। सारे चहल पहल करते रहते हैं और उन्हीं चहल-पहल के बीच मैं मुझे जो उनके छोटे-छोटे मूवमेंट्स होते हैं वह कैप्चर करने की बहुत एक्साइटमेंट होती है।
रही बात हमारी झारखंड की तो हमारे यहां फोटो एग्जिबिशन ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए , क्योंक इसमें हर जगह से लोग आते हैं और एक दूसरे से इनरैक्ट करते हैं, डिस्कशन होता है और इससे फोटोग्राफर कम्युनिटी को बहुत फायदा होगा। इससे सारे ग्रोव करेंगे और ऐसे भी आजकल कोलैबोरेशन का जमाना चल रहा है तो ज्यादा से ज्यादा कोलाब करें , सीखे और सब को सिखाएं।
समीर कुमार सिंह के द्वारा खींची गई तस्वीरें :-
मेरे हिसाब से फोटोग्राफी एक कला है ।
आज के वक्त में हर कोई फोटोज क्लिक करते है पर एक अच्छे फोटोग्राफर वो होते है जो फोटो के पीछे के कहानी को दर्शाते है ।
मैं अक्सर नेचर और आम नागरिकों के एक्सप्रेशंस को कैप्चर करने की कोशिश करती हूं। नेचर यानी की डूबते सूरज की लालिमा तो कभी चिड़ियों की उड़ान, साथ ही आम लोगों की एक्सप्रेशन , उनकी खुशी उनका दुख, उनका तकलीफ ,उनकी आंखों में छुपे बहुत से सवाल । अक्सर एक अच्छा फोटोग्राफर के फोटो के पीछे एक कहानी होती हैं और ये सिर्फ वही लोग समझ सकते है जो उस फोटो की अहमियत को समझे।
मेहविश अनवर के द्वारा खींची गई तस्वीरें :-
वैसे मै सब तरह की फोटो क्लिक करता हूँ, पर मैं ज्यादातर कैंडिड फोटो क्लिक करना पसंद करता हूँ। मोमेंट को कैप्चर करने में मुझे अच्छा लगता है।और स्टोरी बेस फोटो जिसका कोई मतलब हो जिस फोटो से कोई कहानी बन सके। एक वक्त था जब फोटोग्राफर को उस तरह का वैल्यू नहीं मिलता था लेकिन अब समय बदल गया है, डिजिटलाइजेशन का दौर है इस वजह से इसमे स्कोप भी पहले के मुकाबले काफी बढ़ गया है।
मधुकर चौधरी के द्वारा खींची गई तस्वीरें :-
फोटोग्राफी एक कला है, वैसे ही जैसे की आप एक ड्राइंग को लाइव बना रहे हो। ये एक ऐसी कला है जिसे हर कोई करना पसंद है, पर इसे सही तरीके से करने के लिए आपको बहुत ज्यादा अभ्यास की जरूरत पड़ती है। एक फोटोग्राफर जब भी किसी फोटो को क्लिक करता हैं, तो उसमें वो एक कहानी बताने की कोशिश करता हैं, चाहे वो किसी भी प्रकार का फोटो क्यू न हो।
मैं जब भी कोई फोटो क्लिक करता हूँ तो सबसे पहले लाइटिंग को ध्यान में रखता हूँ। मेरे अनुसार ये देखना सबसे ज्यादा जरूरी होता है की हम जिस चिज की फोटो ले रहे हैं उस पे लाइट किस तरह से पड़ रहा है। उसके बाद फिर बाकी चीजों पर ध्यान दिया जाता है , जैसे की एंगल और ये देखना भी बहुत जरूरी होता है की फोटो को किस दिशा से ले रहे हैं। इन सब से फोटो पे बहुत इफेक्ट पड़ता है, एक सही दिशा से ली हुई फोटो काफी सुंदर दिखाई देती है।
मैं मूल रूप से जब भी किसी फोटो को क्लिक करता हूं चाहे वो पेड़-पौधो की फोटो हो, या फिर स्ट्रीट और चलती गाड़ियो की हो मैं सारी फोटो को प्रकृति से कनेक्ट कर के फोटो लेने की कोशिश करता हूं। वैसे मेरी ज्यातर तस्वीरें प्रकृति ऑर स्ट्रीट फोटोग्राफी से संबंधित होती है।
अभिषेक सिंह के द्वारा खींची गई तस्वीरें :-
आइए कुछ ऐसी चित्रों को देखते है जो अपनी एक अलग ही कहानी बयान करती है-
भोपाल गैस त्रासदी की तस्वीर
यह तस्वीर 1984 भोपाल गैस त्रासदी की है जिसे भारतीय फोटोग्राफर रघु राय ने लिया था। झीलों के शहर भोपाल में जहरीली गैस के लीकऐज से कितने लोग बेमौत मारे गए। जहरीली गैस के कण जहाँ तक फैले वहा आज भी उस के दूर परिणाम देखे जा सकते है। जीतने भी लोग उस गैस के चपेट मे आए उनकी पीढ़ी आज भी विकलांग पैदा हो रही है। इस तस्वीर को भोपाल गैस त्रासदी की पहचान के रूप में देखा जाता है।
गिद्ध और एक छोटी लड़की-केविन कार्टर की तस्वीर
इस तस्वीर मे हम एक छोटी बच्ची और गिद्ध को साथ मे देख सकते है। यह दृश्य दक्षिणी सूडान की भुखमरी का है जिसे देख लोगों की रूह काँप गयी थी। 1993 में जब न्यू यॉर्क टाइम्स में ये तस्वीर छपी तो लोग बैचेन हो गये कि आगे इस बच्ची का क्या हुआ? इस तस्वीर को फोटोग्राफर केविन कार्टर ने लिया था, उन्हे इस तस्वीर के लिए उन्हे पुलित्ज़र पुरूस्कार मिला था। परंतु कार्टर को बच्ची की सहायता न करने के लिए बहुत आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। सेंट पीटर्सबर्ग टाइम्स ने उनके बारे में यह लिखा है: “अपनी पीड़ा को ठीक करने के लिए अपने लेंस को समायोजित करने वाला पुरुष बस एक शिकारी हो सकता है, जो दृश्य पर एक अन्य गिद्ध हो सकता है।” अपनी गलती मानते हुआ अंत मे केविन ने सूडान यात्रा के कुछ महीने बाद आत्महत्या कर ली।
टर्किश बीच पर ऐलान कुर्दी-नीलूफर डेमियर की तस्वीर
यह तस्वीर 2 सितम्बर 2015 को तुर्की के समुद्र तट पर ली गयी है। इसे नीलूफर डेमियर ने लिया था। इसने दुनियां को शरणार्थियों के संकट की ओर ध्यान खिचने पर मजबूर कर दिया। डूबने से मरे इस तीन साल के सीरियाई बच्चे अयलान कुर्दी की तस्वीर से दुनिया भर में शरणार्थियों की सुरक्षा का मुद्दा चर्चा का विषय बन गया था।
किम फुक रन – निक उत की तस्वीर
यह तस्वीर वियतनाम युद्ध में एक गाँव पर बम गिराए जाने के बाद की है। भागते बच्चों में इस बच्ची ने दुनियां को आज भी डराए रखा है। आज से 44 साल पहले ली गयी इस नौ साल की बच्ची की तस्वीर को जब भी देखो वो एक बार फिर हमे अमेरिका के वियतनाम युद्ध के प्रति सोचने पर मजबूर कर देती है। इस तस्वीर के लिए फोटोग्राफर निक उत को पुलित्ज़र पुरूस्कार से सम्मानित किया गया।
शहीद – रॉबर्ट कैपा की तस्वीर
इस तस्वीर में एक सैनिक को गोली लगते हुए शहीदी का पल कैद किया गया है। फोटोग्राफर रॉबर्ट कैपा ने इसे 1936 मे लिया था। जब ये तस्वीर एक फ्रेंच पत्रिका में छपी तो दुनियां में इस पर खूब चर्चा हुई। इसे कई नज़रियों से देखा गया था, किसी ने इसे फासीवाद के विरोध में देखा तो बहुतों ने ‘एंटी वार’ के नजरिये से।
https://youtu.be/k5nvP1FTwzk