शिक्षा के निजीकरण व्यापारीकरण को बढ़ावा देकर शिक्षा को महंगी बनाने वाला है बजट
जमशेदपुर (संवाददाता ):-आज केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा केंद्रीय बजट को प्रस्तुत किया गया।इस बजट के संदर्भ में ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन के राज्य सचिव समर महतो ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत शिक्षा बजट पूरी तरीके से शिक्षा को निजीकरण व्यापारीकरण कर शिक्षा को महंगी बनाने के उसके योजनाओं को स्पष्ट करता है पूंजीपतियों के टैक्स में कटौती कर शिक्षा को महंगा बनाने वाला है केंद्रीय बजट। देश की करीब 40 प्रतिशत आबादी उन युवाओं की है जो 18 साल से कम उम्र के हैं लेकिन एजुकेशन सेक्टर पर जीडीपी का महज 3 प्रतिशत खर्च होता है, जिसे बढ़ाना वक्त की मांग है। वर्ष 2022-23 के बजट ने देश में प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों की राह आसान कर दी है। सरकार के इस कदम से विदेशी यूनिवर्सिटी भारत में अपने कैंपस शुरू कर सकेंगी। जबकि इसके विपरीत हम सभी जानते हैं की देश में सरकारी स्कूलों, महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों के आधारभूत संरचनाओं में अत्यधिक कमी है। शिक्षक और शैक्षणिक माहौल का कमी है।केवल महंगे प्रोफेशनल वोकेशनल पाठ्यक्रम को बढ़ाने की कवायत की गई , आधारभूत शिक्षा पर सरकार को कोई विशेष योजना नही है।ये बजट बेसिक शिक्षा के मूल को समाप्त करने वाला है। बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ सरकारी स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालय को स्थापित ना कर विदेशी विश्वविद्यालयों को स्थापित करना पूरी तरीके से शिक्षा के निजीकरण और व्यापारी करण के बढ़ावा देगी। केंद्रीय मंत्री द्वारा ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देखकर विभिन्न ऑनलाइन साधनों को चालू करने की बात कही गई है परंतु जहां एक ओर देश की एक बड़ी आबादी सही से शिक्षा प्राप्त कर पाने में भी सक्षम नहीं है। वैसे मैं ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने की बात धोखा देने के जैसा है। छात्र संगठन एआईडीएसओ सदैव से यह मांग करता रहा है कि केंद्रीय बजट का 10% शिक्षा पर खर्च हो ,बढ़ती जनसंख्या के आधार पर नए स्कूल कॉलेज विश्वविद्यालय को स्थापित किया जाए ,पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति की जाए और जनवादी वैज्ञानिक व धर्मनिरपेक्ष शिक्षा नीति को लागू किया जाए।