गीत सिर्फ मनोरंजन का साधन नही बल्कि,यह जीवन दर्शन हैं –भरत शर्मा व्यास
दावथ /रोहतास (चारोधाम मिश्रा):- भोजपुरी भाषा के लोक गौरव कहे जाने वाले भरत शर्मा व्यास भोजपुरी गानों में बढ़ती अश्लीलता से बेहद व्यथित हैं। उनका मानना है कि यदि फूहड़पन का यह दौर नहीं थमा तो दुनिया के 10 देशों में बोले जाने वाली यह भाषा अपनी पहचान खो देगी। साढ़े चार हजार से ज्यादा गानों को अपनी आवाज दे चुके भरत व्यास बुधवार परमेश्वर पूरी पयहारी जी आश्रम मालियाबाग में शरद पूर्णिमा कार्यक्रम में भाग लेने आये थे।उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा की आज कल के गायक रातों रात हिट होने के चक्कर में अश्लीलता गीतों को बढ़ावा दे रहे हैं।उनको भोजपुरी की सेवा या उनकी विरासत से कोई लेना देना नही है।उनके सरोकारों में भोजपुरी भाषा या संस्कृति नही है।अब भोजपुरी में मौलिक विषयों पर फिल्मों नही बनती बॉलीवुड जैसी बन रही है।मै निजी तौर पर इसके पीछे युवा भोजपुरी कलाकारों गीतकारों व गायकों को जिम्मेदार मानता हूँ।उन्हें यह समझना होगा की गीत सिर्फ मनोरंजन का साधन नही हैं, बल्कि वह जीवन दर्शन है।गीत संगीत जीने की कला भी है।गीतों से समाज मे संदेश जाता हैं, कुरीतियों पर प्रहार होता हैं।आज के समय मे हजारों भोजपुरी गायक हैं, लेकिन राष्ट्रीय पहचान नही बन पा रही हैं।भोजपुरी करोड़ों लोगों की भाषा हैं औऱ निजी स्वार्थ के लिए कुछ लोग इसे बदनाम कर रहे हैं।भोजपुरी को संविधान की आठवीं सूची में लाना बेहद जरूरी है।